अखंडता का प्रतीक उत्तर भारती और बिहारी

भारत के अखंडता का प्रतीक उत्तर भारती और बिहारी -भारत एक विशाल देश है।  जहाँ   भिन्न -भिन्न बोली- भाषा ,रहन -सहन ,खान -पान  आदिअपने अलग -अलग तरीकों से रहते है और इसी आधार से  प्रदेशों का बिभाजन   हुआ। अलग -अलग संस्कृतियों में  पलते हुए  त्योहारों को मनाते हैं। मात्र हिन्दू ही नहीं धर्म निरपेक्ष होने के नाते किसी भी जाती ,धर्म ,सम्प्रदाय के नागरिक हो सभी लोग एक दूसरे उतसवो में  सहभागी होते है ,और एक -दूसरे के  दुःख -सुख में सम्लित होते  है। इस तरह से हमारे देश का जो नक्शा ,ग्रॉफ बनता है वह किसी भी देश का नहीं है। परन्तु भय इस बात को लेकर होता है की कहीं हमारे देश के अखंडता पर सवाल खड़ा न हो जाय। जैसा की देखा गया है की कुछ प्रदेश की तानाशाह सरकार अपने प्रदेश की जनता का भला देखना चाहते है और और दूसरे परदेश की जनता के साथ बर्बरता का व्यवहार करते हुए पलायन करने पर मजबूर कर रहें हैं। यदि सभी प्रदेश ऐसा ही करना शुरू कर दे तो हमारी देश की अखंडता खतरे में पड़  जाएगी। जिस तरह से महाराष्ट्र ,गुजरात से बिहारी भाइयों के साथ प्रदेश से निकाला किया जा रहा है और केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार अपनी क्रिया-प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं कर रही है।  इस विषय में एक शक्त कदम उठाया जाय। यदि गलतियां किसी व्यक्ति के द्वारा हो रही है तो सजा उस व्यक्ति विशेष को मिलाना चाहिए पुरे समुदाय और क्षेत्र को नहीं। आज देखने को मिल रहा है की उत्तर भारतीय और बिहारी भाई देश के हर कोने -कोने में जाकर अपना जीवको पार्जन कर रहें हैं  ,और उस प्रदेश को समृद्ध बनाने में अहम् भूमिका निभा  रही है। इससे एक संस्कृति से दूसरे संस्कृति का  मेल हो रहा है और हमारे देश की अखंडता कायम है। जैसा की महाराष्ट्र में मनपा के द्वारा बहुत ही सराहनी कार्य किया जा रहा है हमारे उत्तर भारतीय और बिहारी भाइयो के पावन  पर्व छठ के लिए प्रशासनिक सभी व्यवस्थाएं उपलब्ध करा रही है। जिससे छठ के पर्व में किसी भी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न न हो। हमारे देश की एक परम्परा रही है और कहा गया है की "अतिथि देवो भवः "हमारे गांव ,क्षेत्र ,प्रदेश में आकर रहने वाला व्यक्ति अतिथि होता है ,संस्कृतियों का मेल होता है। जिससे हमारे देश की अखंडता कायम रहती है।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट