पल्स पोलियो है एडिशनल डोज, नियमित टीकाकरण से कोई लेना देना नहीं
- रामजी गुप्ता, सहायक संपादक बिहार
- May 24, 2023
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आरा ।। जिले में 28 मई से पांच दिवसीय पल्स पोलियो अभियान की शुरुआत की जानी है। जिसको लेकर जिला स्तर से लेकर पंचायत स्तर तक तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इस क्रम में जिला स्वास्थ्य समिति ने सभी जिलों से दो दिनों के अंदर अभियान के लिए माइक्रो प्लान बनाकर समर्पित करने का निर्देश दिया है। ताकि, पल्य पोलियो अभियान के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी न उत्पन्न हो सके। लेकिन, पोलियो की खुराक को लेकर अभी भी कई ऐसे अभिभावक हैं, जो उलझन में रहते हैं। उनका मानना होता है कि नियमित टीकाकरण के दौरान उनके बच्चों को पोलियो की खुराक दी जाती है। उसके बाद पल्स पोलियो अभियान के दौरान खुराक क्यों दी जाए। ऐसे में विभाग ने उन लोगों को फ्रंटलाइन वर्कर्स को जागरूक करने की जिम्मेदारी सौंपी हैं। इस संबंध में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि पल्स पोलियो की खुराक शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों के लिए एक एडिशनल डोज है। इसका नियमित टीकाकरण से कोई लेना देना नहीं है। यदि नियमित टीकाकरण में एक दिन पहले भी पोलियो की खुराक दी गई हो तो बच्चे को अगले दिन पल्स पोलियो अभियान के दौरान वो खुराक देना अनिवार्य है। जिससे बच्चे के पोलियो की चपेट में आने की संभावना पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
पोलियो की बीमारी एक वायरस की वजह से होती है :
डॉ. सिन्हा ने बताया, पोलियो बहुत ही संक्रामक बीमारी है। यह संक्रमित व्यक्ति के मल के संपर्क में आने से या फिर उनके छींकने या खांसने से हवा में फैली संक्रमित बूंदों को सांस के जरिये अंदर लेने से फैलता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह वायरस संक्रमित व्यक्ति की आंतों, श्लेम (म्यूकस) और लार में पाया जाता है। पोलियो की बीमारी एक वायरस की वजह से होती है। संक्रमित भोजन, पानी, या हवा में मौजूद संक्रमित बूंदों को मुंह के जरिये अंदर लेने से यह बीमारी फैलती है। पोलियो का वायरस आपके शरीर में प्रवेश करने के बाद तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) को प्रभावित कर सकता है। कुछ लोगों को इसमें केवल फ्लू के हल्के लक्षण ही महसूस होते हैं, मगर पोलियो की वजह से लकवा हो सकता है और ज्यादा गंभीर हो तो यह जानलेवा भी हो सकता है। बच्चों को, खासकर कि पांच साल से कम उम्र वालों को यह बीमारी होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है। पोलियो का कोई इलाज नहीं है, मगर पोलियो का टीका बच्चे का इस बीमारी से बचाव कर सकता है।
पोलियो का कोई इलाज नहीं :
डॉ. सिन्हा ने बताया, विस्तृत रूप से चलाए गए पोलियो टीकाकरण अभियान की बदौलत भारत को एक पोलियो मुक्त राष्ट्र घोषित किया जा चुका है। पोलियो मुक्त देश बनाए रखने के लिए हमें सभी बच्चों को पोलियो का टीका लगवाना जारी रखना होगा। जिन बच्चों को पोलियो का टीका नहीं लगता, उन्हें यह बीमारी होने का खतरा अभी भी है क्योंकि यह संक्रमण हमारे आसपास से पूरी तरह मिटा नहीं है और अब भी आसानी से फैल सकता है। जिन संक्रमित लोगों में पोलियो के लक्षण सामने नहीं आते, वे तब भी यह संक्रमण दूसरों तक पहुंचा सकते हैं। इसलिए अगर वे ऐसे व्यक्तियों के संपर्क में आएं जिन्होंने टीकाकरण नहीं करवाया है, तो उन्हें भी यह इनेक्शन हो सकता है।
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