
कालाजार से प्रभावित गांवों बुखार को न करें नजरअंदाज, कराएं जांच : एसीएमओ
- रामजी गुप्ता, सहायक संपादक बिहार
- Feb 12, 2024
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- एसीएमओ व एमओआईसी ने कालाजार प्रभावित गांवों में लिया डोर-टू-डोर सर्वे का जायजा
- पूर्व के कालाजार के मरीजों से मिलकर पूछा हालचाल और की पीकेडीएल के लक्षणों की जांच
बक्सर ।। जिले में कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्रभावित गांवों में कालाजार के नए रोगियों की खोज के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इस क्रम में बीते दिन अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह डीएमओ ने सदर प्रखंड के साहोपुर, पड़री और छोटका नुआंव का दौरा किया। इन गांवों में पिछले तीन साल के अंतराल में मरीजों की पुष्टि हुई थी। जिसके कारण इन गांवों में आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा सर्वे किया जा रहा है। ताकि, कालाजार के संदिग्ध रोगियों की पहचान कर उनका जल्द से जल्द इलाज शुरू किया जा सके। एसीएमओ डॉ. कुमार ने सदर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मिथिलेश कुमार सिंह, बीईई मनोज कुमार व बीएचआई उदय कुमार के साथ पूर्व के मरीजों से मुलाकात की। इस दौरान आशा कार्यकर्ताओं ने डीएमओ को बताया कि एक व्यक्ति में कालाजार के लक्षण देखने को मिले हैं। जिसके बाद उन्होंने मरीज का परीक्षण किया, जिसमें किसी बात की कोई परेशानी सामने नहीं आई। लेकिन, लगभग दो हफ्ते से बुखार होने के कारण डीएमओ ने उसे जांच कराने की नसीहत दी।
लोगों को सतर्क और सावधान रहने की जरूरत :
एसीएमओ डॉ. शैलेंद्र कुमार बताया कि कालाजार से प्रभावित इलाके में लोग बुखार को हल्के में न लें। जिन इलाकों में कालाजार के मरीज मिलते हैं वहां एसपी पाउडर का छिड़काव कराया जाता है। ताकि, लोगों को कालाजार की चपेट में आने से बचाया जा सके। उन्होंने बताया, कालाजार के लक्षणों की पहचान होना बहुत जरूरी है। इसका असर शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है। यह परजीवी बालू मक्खी के जरिये फैलता है। इससे ग्रस्त मरीज खासकर गोरे व्यक्तियों के हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है। रुक-रुक कर बुखार आना, भूख कम लगना, शरीर में पीलापन और वजन घटना, तिल्ली और लीवर का आकार बढ़ना, त्वचा-सूखी, पतली और होना और बाल झड़ना कालाजार के मुख्य लक्षण हैं। ऐसे में जब किसी में लगातार बुखार के लक्षण दिखाई दें, तो वो तत्काल जाकर उसकी जांच कराएं।
2018 में गोप नुआंव में मिले थे सात मरीज :
सदर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मिथिलेश कुमार सिंह ने बताया कि जिन गांवों में 2021 से 23 तक कालाजार के मरीज मिले हैं, वहां सर्वे किया जा रहा है। जिसके बाद उन गांवों में आईआरएस के तहत दवाओं का भी छिड़काव कराया जाएगा। ताकि, लोगों को कालाजार की चपेट में आने से बचाया जा सके। उन्होंने बताया कि 2023 में सदर प्रखंड के पड़री में पीकेडीएल का एक मरीज और साहोपुर में कालाजर के एक मरीज की पुष्टि हुई थी। 2022 में पड़री में एक कालाजार के मरीज की पुष्टि हुई। इसके पूर्व 2021 में बड़का नुआंव में एक पीकेडीएल के मरीज की पुष्टि हुई। उसी प्रकार 2019 में नावानगर के मणिया गांव में एक मरीज मिला। 2018 में सबसे अधिक 10 मरीज मिले थे। जिनमें सदर प्रखंड के गोप नुआंव के सात, बड़का राजपुर में एक, पड़री में एक और केसठ प्रखंड के गिरीधर बरांव में एक मरीज की पुष्टि हुई थी। इसी प्रकार 2017 में एक, 2016 में एक, 2015 में चार, 2014 में एक तथा 2013 में कालाजार के चार मरीजों की पुष्टि हुई थी।
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