जातिगत आरक्षण व एस सी एस टी एक्ट जैसे दमनकारी कानूनों के विरुद्ध सवर्ण दबाए नोटा का बटन - कुमार चन्द्र भुषण

जो सवर्ण आरक्षण समर्थक पार्टियों के दामन थाम चुके हैं वो सवर्ण नहीं कालनेमि है

संवाददाता श्याम सुंदर पाण्डेय की रिपोर्ट 

कैमूर--  आरक्षण और एसटी एससी एक्ट देश में अब कानून बन चुका है, दादा फिर बाप फिर लड़का फिर नाती पर नाती को यानी हर जन्म लेने वाले लोगों को देने की परंपरा चली आरही है और चलती रहेगी। वही हाल आज प्रधानमंत्री आवास योजना की भी है, एक ही जात को उसके पूरे खानदान और आने वाली पीढियां को देने की परंपरा चल रही है और चलती रहेगी। जिला के नगर पंचायत कुदरा स्थित राष्ट्रीय सवर्ण समाज संघ प्रदेश कार्यालय पर एक औपचारिक भेंट वार्ता के दौरान राष्ट्रीय सवर्ण समाज संघ प्रदेश अध्यक्ष सह स्वतंत्र कलमकार कुमार चन्द्र भुषण तिवारी के द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव में संगठन की भागीदारी व समर्थन की सवाल पर कहा गया।राष्ट्रीय सवर्ण समाज संघ आरक्षण समर्थक किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं करता क्योंकि गरीबी किसी जात को नहीं देखती आज पूरे देश में कहीं भी कोई ऐसी जाती नहीं है जो गरीब न हो। हमारे संविधान में धर्म, जाति, लिंग व क्षेत्र आधारित मामलों पर द्वेष फैलाना सुविधा देना अपराध है, फिर भी ऐसे कानून देश में लागू है।जबकि देश सहित बिहार विधानसभा चुनाव में जितने भी राजनीतिक पार्टियां है वे सभी जातिगत आरक्षण के समर्थक है, इसलिए सवर्ण समाज का मत किसी भी अपराधी को नहीं मिलेगा न मिलना चाहिए किसी सवर्ण समाज के द्वारा। जब उनसे सवाल किया गया कि बहुत से सवर्ण वर्ग के लोग राजनीतिक पार्टियों के हैं दामन थाम चुके हैं और चुनावी मैदान में भी हैं, तो उन्होंने कहा कि जो भी सवर्ण आरक्षण समर्थक पार्टियों के दामन थाम चुके हैं वह सवर्ण नहीं वह कालनेमी की भूमिका निभाकर सवर्णों का वध कर रहे है। क्योंकि जो अपने निजी फायदे के लिए अपने समाज को भ्रमित कर अपने समाज व राष्ट्र के साथ गद्दारी करें वह सवर्ण हो ही नहीं सकता। जब सवर्णों को ठेला खींचते रिक्शा चलाते मजदूरी करते फूस के घरों में शहरों के प्लेटफार्म पर और रैन  बसेरो में रहते देखता हूं तो इस देश में बने काले कानून से बहुत दुखित होता हूं। अब इस समाज को जगाने का समय आ चुका है नहीं तो इसी तरह से दमनकारी सिलसिला चलता रहेगा।

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