आईएमए बिहार एव स्वास्थ्य विभाग कैमूर द्वारा सिसौड़ा में स्तनपान जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
- रामजी गुप्ता, सहायक संपादक बिहार
- Aug 06, 2024
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जन्म से लेकर 6 माह तक केवल माँ का दूध ही पिलाना नवजात शिशुओं के लिए अतिआवश्यक होता है---- आइएमए के प्रदेश सचिव डॉ संतोष कुमार सिंह
कैमूर (बिहार)।। नवजात शिशुओं के लिए स्तनपान कराना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज़्यादा लाभकारी होता है, जिसे हमलोग जीवन में अमृत के समान मानते हैं। नवजात शिशुओं को जन्म के तुरंत बाद स्तनपान कराये जाने से न सिर्फ उन्हें कई गंभीर बीमारियों से बचाता है बल्कि उनके सम्पूर्ण विकास की सबसे महत्वपूर्ण सीढ़ी भी है। इसलिए स्तनपान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बिहार शाखा द्वारा कैमूर जिले के रामगढ़ प्रखंड के गोद लिए गांव सिसौडा में 01 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है, जिससे नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य में स्तनपान की भूमिका के प्रति लोगों के प्रति जागरूकता प्रदान कर सामुदायिक भागीदारी को सुनिश्चित किया जाए । आईएमए बिहार राज्य एवं स्वास्थ्य विभाग कैमूर द्वारा 1 अगस्त से 7 अगस्त तक सिसौडा गांव में स्तनपान जागरूकता सप्ताह चलाया जा रहा है । माताओं को स्तनपान के प्रति जागरुक करने के लिए जिले के सभी अस्पतालों मे बैनर पोस्टर लगाकर स्तनपान के बढ़ावा के लिए प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है । स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र सिसौडा मे स्तन पान जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। उद्घाटन डीआईओ रविन्द्र चौधरी ने किया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कैमूर के एसीएमओ डाॅ सत्यस्वरूप थे । कार्यक्रम की अध्यक्षता आईएमए बिहार केप्रदेश सचिव डा संतोष कुमार सिंह ने किया । डाॅ संतोष कुमार सिंह ने बताया कि प्रसव के तुरंत बाद एक घंटे के अंदर स्तनपान कराना जरूरी होता हैं। साथ ही जन्म से लेकर 6 माह तक केवल मां का ही दूध पिलाना नवजात शिशुओं के लिए अतिआवश्यक होता है। वहीं सातवें महीने से हल्का ऊपरी आहार के साथ स्तनपान कम से कम दो वर्षों तक कराना होता है। ताकि बच्चों के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी । जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू करने वाले नवजात शिशुओं में मृत्यु की संभावना लगभग 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है। इसके साथ ही पहले छह महीने तक केवल स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया एवं निमोनिया जैसी संक्रमण से होने वाली मृत्यु की संभावना 11 से 15 गुना तक कम हो जाती है। स्तनपान करने वाले शिशुओं का समुचित ढंग से शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है एवं वयस्क होने पर उसमें गैर संचारी (एनसीडी) बीमारियों के होने की भी संभावना बहुत कम होती है। डीआईओ रविन्द्र चौधरी ने बताया कि स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन एवं गर्भाशय (ओवरी) कैंसर का खतरा भी नहीं के बराबर होता है। केवल स्तनपान कराने से नवजात शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। स्तनपान करने वाली माताओं के स्वास्थ्य पर भी काफी अनुकूल असर होता है। साथ ही इस महंगाई और कोरोना संक्रमण काल के समय बच्चों को बाहरी दूध में होने वाले आर्थिक खर्च का बोझ से भी बचाता है तथा प्राकृतिक आहार होने के कारण बच्चों को बाहरी आहार से होने वाले कुप्रभाव से बचाव करता है। आईएमए बिहार शाखा एवं स्वास्थ्य विभाग कैमूर द्वारा आयोजित कार्यक्रम मे शामिल अन्य मे प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक सर्वेश कुमार, मनीष सिन्हा, गुलशन परवीन, एएनएम चिंता कुमारी , आंचल कुमारी एवं आशा मीना , कविता, मालती , धर्मशीला सहित लगभग 40 महिलाए उपस्थित रहीं ।
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