भिवंडी में 'वोट के दलाल' हावी, बाहरी उम्मीदवारों के भरोसे का खेल !

भिवंडी। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे है,भिवंडी पूर्व और पश्चिम विधानसभा सीटों पर एक नई सनसनीखेज कहानी उभर रही है। यहां उम्मीदवार चुनाव प्रचार नहीं, बल्कि 'वोट के दलालों' के चंगुल में फंसते नजर आ रहे है ! स्थानीय मुद्दे और जनता से सीधा संवाद लगभग गायब है और मतदाता गुमराह करने की इस साजिश में जुटे कुछ बाहरी उम्मीदवार पूरे क्षेत्र को हिला रहे है।

दोनों सीटों पर कुल 25 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर उम्मीदवार अपने दम पर नहीं, बल्कि चंद बिचौलियों की उंगली पकड़े हुए प्रचार कर रहे है। प्रचार कार्यालयों में 'मुफ्त नाश्ते' के नाम पर भीड़ जुटाई जा रही है, लेकिन वोटर वास्तविक मुद्दों पर सवाल पूछने के लिए तरस रहे है।

सड़कों पर प्रचार गाड़ियों की रफ्तार तेज है, बैनर-पोस्टर से शहर पटा पड़ा है, यहां तक कि महान व्यक्तियों की मूर्तियाँ भी ढंकी जा रही है। लेकिन इस सबके बीच जनता को एक बड़ी साजिश की बू आ रही है—क्या ये उम्मीदवार वास्तव में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने लायक है, या बस सत्ता के भूखे दलालों का मुखौटा ?

यहां बाहरी बनाम स्थानीय मुद्दा तूल पकड़ रहा है। बाहरी उम्मीदवारों की भरमार ने भिवंडी के असली मुद्दों को दरकिनार कर दिया है और वोटर नाराज है कि कैसे उनके क्षेत्र में बाहरी ताकतें जबरन घुसपैठ कर रही है। क्या वोटरों को भ्रमित कर ये चुनाव जीता जा सकेगा ? क्या भिवंडी का असली चेहरा 'वोट के दलालों' की साजिशों में गुम हो जाएगा ? इस प्रकार का अनेक सवाल मतदा द्वारा उठाया जा रहा है। अब देखना यह है मतदाता राजा 20 नवंबर को क्या फैसला करते है।

रिपोर्टर

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