कुंभ में टूटा जातीय समीकरण,वोट के लिए फिर भी जातीय समीकरण की तलाश कर रहे राजनेता
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, उप संपादक बिहार
- Feb 26, 2025
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संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की लेखनी से
दुर्गावती(कैमूर)-- 2025 का सनातन धर्म का महाकुंभ का जन सैलाब जातीय समीकरण को पूरी तरह से ध्वस्त कर डाला, लेकिन विपक्ष के राजनेता अभी भी जातीय समीकरण की तलाश करते दिखाई दे रहे हैं। कुंभ में मरे हुए पीड़ितों की मदद करने उनके परिजनों से मिलने के सिवा उनके शवों और आस्था पर राजनीति करते देखे जा रहे हैं। अब यह कुंभ सनातन धर्म के विरोधियों के गले की फांस बन गया है, क्योंकि इस महाकुंभ में कहीं भी जातिय आधारित सुविधा न जाति आधारित स्नान करने के लिए घाट न भोजन के लिए अलग से कोई व्यवस्था बनी थी। विश्व के तमाम देशों से आए हुए सनातन धर्म के प्रेमी तथा हिंदू डीएनए से प्रेरित मुस्लिम वर्ग के लोगों ने भी स्नान किया, यहां तक की पाकिस्तान से आए हुए हिंदुओं के साथ कुछ मुस्लिम पत्रकार भी कुंभ मेले में स्नान करते देखे गए और कुंभ की व्यवस्था का भूरी भूरी प्रशंसा करते नहीं थक रहे थे। प्रयागराज के बाद तमाम विदेशी यात्री और देश के अधिकांश यात्री अयोध्या राम लला का दर्शन कर वाराणसी में काशी विश्वनाथ का दर्शन करते हुए अपने मुलको को और धरो को वापस चले गए। अब देश का राजनेता कोई पानी की अशुद्धि कोई गंदगी तो कोई भगदड़ पर राजनीति कर के टूटी हुई हिंदुओं की जातीय परंपरा को भड़काने में लगा हुआ है ताकि हिंदुओं को टुकड़े-टुकड़े कर कर फिर वोट बटोर जा सके। भगदड की जांच उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा कराई जा रही है जिसका खुलासा कर वहां की सरकार जल्द ही सामने लाएगी और दोषियों के चेहरे से नकाब हटेगा, लेकिन विपक्ष तो अपनी राग और अपनी डफली बजा रहा है। राजनेताओं को चाहिए कि देश की तरक्की के लिए देश के विकास के लिए राजनीति करे बांटने और शासन करो की परंपरा को जीवीत रखने के लिए नहीं। बांटो देश तोड़ो वाले मुद्दे पर दोषी राजनेताओ पर तो अपराधीक मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करनी चाहिए लेकिन ऐसा कोई सरकार नहीं करेगी क्योंकि सारे चोर चोर तो मौसेरे भाई है।


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