
भिवंडी पालिका क्षेत्र में सात मंजिला अवैध इमारत का पर्दाफाश !
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Mar 09, 2025
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इंजीनियर, बिल्डर और जमीन मालिक पर मामला दर्ज
150 से अधिक अवैध इमारतें निर्माणाधीन
पालिका प्रशासन की भूमिका संदिग्ध
भिवंडी । भिवंडी-निजामपुर शहर महानगर पालिका (BNCMC) में अवैध इमारतों के निर्माण का खेल लगातार जारी है। पालिका अधिकारियों की मिलीभगत से शहर में सैकड़ों अवैध इमारतें खड़ी हो चुकी है और अब भी करीब 150 से अधिक इमारतें निर्माणाधीन हैं। हाल ही में एक सात मंजिला अवैध इमारत का पर्दाफाश हुआ, जिसके मालिक, बिल्डर और इंजीनियर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब इमारत का निर्माण हो रहा था, तब पालिका प्रशासन चुप क्यों था ?
पालिका की मिलीभगत से पनप रहा अवैध निर्माण माफिया ! :::::::::
शहर में अवैध निर्माण कोई नई बात नहीं है, लेकिन पालिका अधिकारियों की शह पर यह कारोबार अब बेलगाम हो चुका है। सूत्रों के अनुसार, पहले पालिका अधिकारी अवैध निर्माण को नजरअंदाज कर मोटी रिश्वत लेते है और जब इमारत पूरी बन जाती है, तो एमआरटीपी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर फाइल बंद कर दी जाती है। नतीजा यह होता है कि मामला कोर्ट में सालों-साल लटकता रहता है और 30 साल बाद पालिका प्रशासन इमारत को "धोखादायक" घोषित कर देता है और उसे खाली करवाने के नाम पर एक बार फिर मोटी रकम वसूली जाती है।
पूर्व आयुक्तों के कार्यकाल में सबसे अधिक अवैध निर्माण ::::::
सूत्रों की मानें तो पूर्व आयुक्त व प्रशासक अजय वैद्य के कार्यकाल में सबसे अधिक अवैध इमारतों का निर्माण हुआ। शहर के लगभग प्रत्येक प्रभाग समिति में निर्माणाधीन अवैध इमारतों की भरमार है, जिनमें छोटे मकानों से लेकर आठ मंजिला गगनचुंबी इमारतें शामिल हैं। पालिका से जुड़े कुछ जानकारों का कहना है कि पूर्व आयुक्तों के कार्यकाल में शहर विकास विभाग, बीट निरीक्षक और प्रभाग समितियों के प्रभारी सहायक आयुक्तों के पदों के लिए बोली लगाई जाती थी। यानी जिसने सबसे ज्यादा रिश्वत दी, उसे ही इन विभागों की जिम्मेदारी दी गई। यही वजह है कि अवैध निर्माण को खुलेआम संरक्षण मिला।
अब कार्रवाई, लेकिन क्या यह सिर्फ दिखावा है? ::::
हाल ही में प्रभाग समिति क्रमांक एक के तहत सि.स.नं. 4346, स.नं. 57(1), प्लॉट नंबर-5 पर बनी सात मंजिला अवैध इमारत पर प्रशासन ने कार्रवाई की है। इस इमारत का निर्माण जमीन मालिक जावेद आलम अब्दुल रहमान अंसारी, इंजीनियर आसिफ जुबैर कुरैशी और बिल्डर जाकीर खान द्वारा किया गया था। पालिक के आयुक्त पद पर आईएएस अधिकारी की नियुक्ति के बाद सहायक आयुक्त राजेंद्र वर्लीकर ने आनन-फानन में डीपीएल की प्रक्रिया पूरी कर शांतिनगर पुलिस थाने में उक्त तीनों लोगों के खिलाफ गुनाह रजिस्टर नंबर 270/2025 के तहत मामला दर्ज कराया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि पालिका प्रशासन अब तक सो रहा था ? जब सात मंजिला इमारत तैयार हो रही थी, तब कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई ? क्या यह मामला भी "केस दर्ज करो और फाइल बंद करो" की पुरानी चाल का हिस्सा है ?
न्याय या खेल? अब जनता की नजरें प्रशासन पर ! :::::::
इस पूरे घटनाक्रम के बाद शहर में पालिका प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। क्या यह कार्रवाई वास्तव में अवैध निर्माण पर लगाम लगाने के लिए है, या सिर्फ जनता को दिखाने के लिए की गई एक खानापूर्ति ?अब देखना होगा कि प्रशासन आगे और कितनी अवैध इमारतों पर कार्रवाई करता है, या फिर यह मामला भी पुरानी फाइलों में गुम होकर न्याय की प्रतीक्षा करता रहेगा !
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