
ईद-उल-अजहा जिले में शांतिपूर्वक संपन्न
- सुनील कुमार, जिला ब्यूरो चीफ रोहतास
- Jun 07, 2025
- 11 views
रोहतास। जिला मुख्यालय सासाराम सहित पूरे जिले में बकऱीद, जिसे ईद-उल-अजहा या कुर्बानी की ईद कहते हैं,पूरी तरह शांतिपूर्ण वातावरण में मनाया गया। पुलिस अधीक्षक रौशन कुमार के दिशा-निर्देशन में त्योहार से पूर्व जिले के सभी संवेदनशील क्षेत्रों में फ्लैग मार्च कराया गया था। सुरक्षा के दृष्टिकोण से सभी प्रमुख स्थानों पर दंडाधिकारी और पर्याप्त संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी।
त्योहार के मौके पर जिले के विभिन्न इलाकों में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईदगाहों और मस्जिदों में पारंपरिक ढंग से नमाज अदा की। नमाज के बाद एक-दूसरे को गले लगाकर त्योहार की बधाइयां दी गईं। स्थानीय प्रशासन की सतर्कता के चलते त्योहार शांतिपूर्वक संपन्न हुआ।जिले में कहीं से भी किसी प्रकार की अप्रिय घटना की कोई जानकारी नहीं प्राप्त हुई है। सभी लोगों ने सौहार्द और भाईचारे के साथ त्योहार मनाया और शांति व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग किया।इस्लामी मान्यता के अनुसार— अल्लाह ने हज़रत इब्राहीम की भक्ति की परीक्षा ली। उन्हें सपना आया कि वे अपने प्यारे बेटे इस्माईल (अलैहिस्सलाम) को अल्लाह के हुक्म पर कुर्बान करें। वे तैयार हो गए, लेकिन अल्लाह ने आख़िरी पल में उनके बेटे की जगह एक दुम्बा (भेड़) भेज दिया। तभी से इस घटना की याद में कुर्बानी की परंपरा शुरू हुई। कुर्बानी के मांस को तीन भागों में बांटकर गरीबों, रिश्तेदारों और अपने परिवार में वितरित किया जाता है।
भारत में बकऱीद का इतिहास इस्लाम के आगमन के साथ जुड़ा है। 7वीं सदी में अरब व्यापारियों और सूफी संतों के माध्यम से इस्लाम भारत में आया। दिल्ली सल्तनत और मुग़ल काल के दौरान बकऱीद व्यापक रूप से मनाया जाने लगा। आज यह त्योहार भारत के कोने-कोने में श्रद्धा और भाईचारे के साथ मनाया जाता है।
बकऱीद का असल मक़सद है— त्याग, समर्पण, और समानता का संदेश देना। गरीबों का ख्याल रखना और समाज में भाईचारे को बढ़ावा देना है।
जिला प्रशासन ने त्योहार को शांतिपूर्ण और सफल बनाने के लिए आमजन की सहभागिता और सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया है। सुरक्षा बल और प्रशासनिक अधिकारियों की त्वरित प्रतिक्रिया और सजगता के कारण जिले में सौहार्द का माहौल बना रहा।
रिपोर्टर