कोन में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने अपने ही सरकार के खिलाफ उगला जहर

सोनभद्र । कोन ब्लाक के निर्माण के लिए शनिवार को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर का आगमन कोन बस स्टैंड के समीप लैम्पस ग्राउंड पर लगभग 3 बजे हुआ जहाँ उन्होंने ग्रामीणों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जैसे बीमार व्यक्ति को दवा की जरूरत पड़ती है ठीक उसी प्रकार आप लोगो को ब्लाक चाहिए तो सभी सम्बन्धित पत्रावलियों को लेकर आपको लखनऊ आना पड़ेगा मुझे तो मालूम नही था कि आप लोग 25 वर्ष से ब्लॉक की लड़ाई लड़ रहे है वैसे मैं वादा नही कर रहा हूँ लेकिन यह विश्वास दिलाता हूँ कि 2022 में बिना मेरे पार्टी के सहयोग के किसी की भी सरकार बनने वाला नहीं है और मैं ही कोन का ब्लाक का उद्घघाटन करने हेलीकाप्टर से आऊँगा । सम्बोधन के दौरान उन्होंने यहाँ भी बागी तेवर में दिखे कहा कि प्रधानमंत्री हमारी नही सुन रहे है, जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी सवर्ण आरक्षण लागू किये तो पिछड़ी जाति पर मैं भी 56 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहा हूँ। विधान सभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री ने गुजरात मॉडल बनाने के लिए प्रचार किया था तो आज तक उत्तर प्रदेश में गुजरात मॉडल क्यो नही लागू हुआ, गुजरात मे शराबबंदी लागू है तो यहां क्यो नही लागू हुआ, इधर बिहार व पांडुचेरी में भी शराब बंद है शराब बंद होने से गरीबी दूर होगी, इस बात पर उन्होंने लोगों से को हाथ उठवा कर पूछा भी। अपने सम्बोधन में कहा कि कोई भी नेता यह नही चाहता कि आप गुलामी की जंजीरो से आगे निकले क्योकि अगर शराब बंद होगा तो आपके बच्चे पढ़ लेंगे और आप जागरूक हो जायेगे तो उनकी दुकानदारी बन्द हो जाएगी।कहा कि हमने मुख्यमंत्री योगी जी से भी कहा कि आपने हमसे वादा किया था कि लड़कियों की पढ़ाई गेजुएशन तक व लड़को की इंटरमीडिएट तक मुप्त होगी लेकिन आज तक लागू नहीं किया ,यही नही प्राइमरी स्कूलो में अध्यापकों की कमी है भर्ती के लिए हमने मुख्यमंत्री जी से कहा तो बताया गया कि हमारे पास बजट नहीं है तो हमने उन्हें एक सुझाव दिया कि अध्यापकों की भर्ती ट्रायल बेस पर कीजिए पहले साल 10 हजार दूसरे साल 15 हजार  तीसरे साल 20 हजार, यानि अगर वे बच्चों को अच्छी शिक्षा देगे तो इसी तरह 5 साल तक तनख्वाह बढ़ोतरी होती रहेगी और पांच साल के बाद इन अध्यापकों को स्थाई नियुक्ति मिल जाएगी लेकिन उनके इस सुझाव पर कोई अमल नही किया गया।उन्होंने प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाया कहा कि किसी भी अधिकारी या नेता के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ने नही जाते, जाते हैं तो गरीब के बच्चे और वहां उन्हें पढ़ा लिखा कर लायक नहीं बल्कि भिखारी बनाया जाता है क्योंकि उनको थाली लेकर स्कूल जाना है और थाली लेकर खिचड़ी के लिए लाइन में लगना है और उसके बाद उनको अपनी थाली खुद से धोनी है इतने में 3 बज जाते है और छुट्टी हो जाती है।चुटकी लेते हुए कहा कि जब अमीर का बेटा क से कम्प्यूटर बोलता है तो गरीब का बच्चा क से कबूतर बोलता है।कैबिनेट मंत्री ने कहा कि गरीबों को उचित शिक्षा उपलब्ध कराने के लिये कोचिंग सेंटर खोलने के लिए भी निवेदन किया लेकिन हर नेता गरीब के बच्चो को डॉक्टर इंजीनियर नही बनाना चाहता क्योकि उनकी गुलामी करने के लिए कौन मिलेगा।उन्होंने बागी अंदाज़ में कहा कि मुझसे नाराज़ होकर लोग मुझे मंत्री पद से हटा भी दे तो कोई बात नही हम तो मंत्री पैदा करते है हम गरीबो के लिए मंत्री पद भी त्यागने के लिए तैयार हैं वैसे भी मैंने 24 तारीख को इस्तीफा दे दिया था लेकिन मुख्यमंत्री जी ने स्वीकार नही किया।अभी सड़क पर जब रसोइयों ने घेर लिया और अपनी समस्या बताने लगे तो मुझे भी कष्ट हुआ क्योकि जब भाजपा सबका साथ सबका विकास कहती है तो मनरेगा की मजदूरी 175 रुपये तो रसोइया की मजदूरी 33 रुपये क्यो है,और तो और जब रसोइये के लिए नियम है कि जब उनका बच्चा स्कूल में पढ़ रहा है तो ही वे रसोईया की नौकरी कर सकते हैं तो यहीनियम अध्यापको पर क्यों नहीं लागू होता कि उनके बच्चे भी सरकारी विद्यालय में पढ़ें तभी उन्हें वेतन मिलेगा।पुलिस के सिपाहियों की स्थिति पर कहा कि सत्ता में बैठे लोग कहते है कि भ्रष्ट्राचार दूर कर देंगे हमने कहा कि आप सिपाही को साइकिल भत्ता देते है क्या कहीँ थाने में सिपाही साइकिल से चलता है नही तो साइकिल भत्ता क्यों, हमने 3000 रुपये मोटरसाइकिल भत्ता के लिए सुझाव दिया तो सरकार ने मात्र 100 रुपये से बढ़ा कर 200 रुपये कर दिया जब कि 200 रुपये तो दो दिन में खत्म हो जाएगा तो 28 दिन कैसे ड्यूटी करेगा।

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