आधार वाड़ी जेल में गाँधी परीक्षा संपन्न

कल्याण । बी.के.बिडला महाविद्यालय, कल्याण के गाँधी अध्ययन केंद्र द्वारा बॉम्बे सर्वोदय मंडल, मुंबई के सहयोग से गाँधी परीक्षा का आयोजन किया गया इस परीक्षा में पचास से अधिक पुरुष और महिला कैदियों ने भाग लिया एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस जेल में बंद एक विदेशी कैदी नें भी बापू की आत्मकथा अंग्रेज़ी में पढी और उसे परीक्षा में अच्छे अंक भी मिले उसके अनुसार बापू की आत्मकथा नें उसे बहुत प्रभावित किया है इस परीक्षा के सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र और प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत गया इस अवसर पर आधारवाड़ी केन्द्रीय कारागार के निरीक्षक भारत भोसले ने सभी कैदियों को सत्य और अहिंसा का महत्त्व समझाते हुए महात्मा गाँधी के जीवन से सम्बद्ध अन्य पुस्तकें पढने की सलाह दी । उनके अनुसार बापू के जीवन पर आधारित पुस्तकें व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की सामर्थ्य प्रदान करती हैं दूसरे वरिष्ठ अधिकारी बी.एम.काले ने महिला कैदियों को पुरष्कृत करते हुए महात्मागांधी की आत्मकथा को प्रेरक और सत्य की तरफ प्रेरित करने वाली आत्मकथा बताया ।बॉम्बे सर्वोदय मंडल से सम्बद्ध प्रेमशंकर त्रिपाठी नें महात्मा गांधी के जीवन और उनके जेल प्रवास से सम्बंधित अनेक बातें बताते हुए प्रतिभागियों को हर प्रकार की पुस्तकें उपलब्ध कराने की बात कही इस परीक्षा के संयोजक और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा अनुदानित गाँधी अध्ययन केंद्र के निदेशक डॉ.श्यामसुंदर पाण्डेय नें जेल के सभी अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कैदियों को जेल में अपने समय का सदुपयोग करने की बात कहते हुए वहाँ से छूटने के बाद सम्मानपूर्ण जीवन व्यतीत करने की आवश्यकता पर जोर दिया महिला कैदियों को डॉ.अर्चना सिंह और डॉ.वृंदा निशानदार द्वारा बापू के जीवन से अवगत कराया गया

इस अवसर पर डॉ. दिनेश वानुले, प्रो.कृष्णा घोड़े सहित शैल, काजल, बबिता, स्वेता, सिमरन  और अशोक आदि गाँधीवादी विद्यार्थी उपस्थित थे इस परीक्षा हेतु सभी इच्छुक कैदियों को लगभग एक महीने पहले महात्मा गाँधी की आत्मकथा पढने के लिए दी गई थी इसके बाद उस पर व्याख्यान हुए और सभी प्रतिभागियों ने बड़े उत्साह के साथ उसे पढ़कर परीक्षा में भाग लिया ज्ञातव्य हो कि पिछले चौदह वर्ष से बिडला महाविद्यालय के गाँधी अध्ययन केंद्र द्वारा बॉम्बे सर्वोदय मंडल के साथ मिलकर हर वर्ष यह परीक्षा ली जाती है अब तक दर्ज़नों कैदी प्रतिभागी बापू की आत्मकथा पढ़कर उनके जीवन से प्रभावित हो चुके हैं और जेल से मुक्त होने के बाद शांतिपूर्ण जीवन यापन कर रहे हैं ।

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