संदीप नाईक ने अपने पिता गणेश नाईक के लिए छोड़ी अपनी सीट
- Hindi Samaachar
- Oct 04, 2019
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नवी मुंबई ।। महायुती के तहत विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद यह पूर्ण रूप से अनुमान लगाया जा रहा था कि बेलापुर से गणेश नाईक को भाजपा चुनावी मैदान में उतारेगी लेकिन बीजेपी ने गणेश नाईक के उम्मीदों पर पानी फेरते हुए मंदा म्हात्रे के नाम की घोषणा कर दिया। बीजेपी की सूची से गणेश नाईक का नाम नदारद होने से उनके समर्थकों में फैली घोर नाराजगी को देखते हुए यह उम्मीद जताई जाने लगी कि गणेश नाईक पिता-पुत्र अपने बल पर अपक्ष उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतर सकते हैं, लेकिन बुधवार को 56 नगरसेवकों के साथ हुई एक बैठक में पांसा ही पलट गया। दरअसल संदीप नाईक ने अपने पिता के लिए एरोली विधानसभा सीट से अपना टिकट उन्हें समर्पित कर दिया। ऐसा करने के बाद समर्थकों में जहां खुशी देखी गई, वहीं शहर में इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि पिता के लिए बेटे ने दी कुर्बानी। नवी मुंबई में आज कल संदीप नाईक का ही चर्चा है कहा जा रहा है कि अपनी फिक्स सीट सिर्फ अपने पिता के लिए छोड़े है। और संदीप नाईक से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मेरे लिए सब कुछ मेरे पिता ही है और इसी लिए मैंने अपनी सीट अपने पिता को दिया । बता दें कि गणेश नाईक को टिकट नही मिलने से उनके परिवार में घोर नाराजगी फैल गई थी, जबकि दूसरी तरफ नाईक समर्थकों ने नाराजगी जताते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने पर जोर देते हुए भाजपा के खिलाफ लामबंद होने लगे। इस पर चर्चा करने के लिए 56 नगरसेवकों सहित कार्यकर्ताओं को महापौर बंगले पर बुधवार को आने के लिए आमंत्रित किया गया था जहां सैकड़ों की तादात में पहुंचे नाईक समर्थकों ने उन्हें चुनावी मैदान में उतरने के लिए बाध्य किया। इस दौरान संदीप नाईक एवं संजीव नाईक भी उपस्थित थे, कार्यकर्ताओं की मंशा को भांपते हुए संदीप नाईक ने एरोली निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव नही लड़ने की घोषणा करते हुए पिता के लिए अपनी सीट छोंड़ दिया। उसके बाद भाजपा के नवी मुंबई जिलाध्यक्ष रामचंद्र घरत के समक्ष वाशी स्थित नवी मुंबई स्पोर्ट्स क्लब में अपना AB फॉर्म गणेश नाईक को सुपुर्द करते हुए कहा कि यहां से बतौर भाजपा प्रत्याशी के रूप में गणेश नाईक चुनाव लड़ेंगे। गणेश नाईक ने भी गुरुवार को शक्ति प्रदर्शन के साथ अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। यहां अब यह भी सवाल उठने लगा है कि शिवसेना को एक भी सीट नही मिलने से शिवसेना कार्यकर्ताओं में घोर नाराजगी फैली है, अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लगभग दो सौ के आसपास शिवसैनिकों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है, कुछ लोग इस्तीफा देने की कतार में खड़े भी हैं, ऐसे में क्या शिवसैनिक भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में उतरेंगे या फिर उनके खिलाफ बगावत करेंगे?
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