करौंदिया में शाम ढले शुरू हो जाता है नशेड़ियों का उत्पात

नही दिखती इलाकाई पुलिस, शिकार होते हैं राहगीर

सुल्तानपुर ।। एक तरफ पुलिस कप्तान ने नशेड़ियों उत्पातियों के खिलाफ कार्यवाही व धरपकड़ की मुहिम छेड़ रखी है  दूसरी तरफ शहर के सबसे बड़े मुहल्लों में शुमार विवेकनगर निरालानगर व करौंदिया में इनदिनों लोग नशेड़ियों के उपद्रव से परेशान हैं। कुड़वार रोड पर आने जाने वाले हों या मांगलिक कार्यकर्मो में आये लोग शाम ढले ही ओवरब्रिज  व हनुमान मंदिर के निकट मारपीट का शिकार होते हैं। यहां न तो पुलिस दिखती है और न ही इलाकाई चौकी इंचार्ज सूचना पर ही आते है। 

एक बानगी शुक्रवार को हुई घटनाओं की है। शाम साढ़े सात बजे मुहल्ले में आई बारात में तीन युवक नशे में जा धमके हंगामा करने लगे मना करने पर दर्जन भर उनके सजातीय साथी लाठी डंडे लेकर आये मारपीट पर उतारू हो गए। लोगों ने बीच बचाव किया तब शांत हुए। फिर उसी दिन रात साढ़े नौ बजे ओवरब्रिज के नीचे हो रहे शादी समारोह में यहां के नशाखोर बारातियों से जा भिड़े लोग दौड़े तो मारपीट पर आमादा हो गए। पुलिस आयी पर बेअसर रहा क्योंकि रात ग्यारह बजे यही नशेड़ी एक स्थानीय अधिवक्ता से लड़ने लगे तब तक कई लोग आ गए नशेड़ियों को भगाया लेकिन वो अपने दर्जन भर साथियों को लेकर आया । और आधे घण्टे तक सब सड़क पर नंगा नाच करते रहे। जब वकील ने 112 डायल की मदद ली तब वे भागे। इनके उत्पात से स्थानीय लोग हतप्रभ हैं।

चौकी पुलिस की लापरवाही से बढ़ी वारदातें

निरालानगर चौकी पर पहले तैनात रहे दरोगा एनबी सिंह मय फ़ोर्स शाम को ही यहाँ आ जाते थे। संदिग्ध वाहनों की चेकिंग के साथ नशेड़ियों पर सख्ती करते जाते थे। तब ऐसा क़ुछ नही होता था परंतु मुहल्ले वासियों के आरोप हैं कि जब से इन उपद्रवियों के सजातीय दरोगा यहां तैनात हुए है तब से नशेड़ियों को सह मिल रही है। क्यूंकि ये दरोगा न तो खुद इस महत्वपूर्ण स्थल पर दिखते हैं न इनके मातहत। कहा जाता है कि जब कभी आये किसी नशेड़ी को पकड़े तो लेन देन कर मुचलका भरवा कर छोड़ देते है जिससे मनबढ़ शराबी फिर उपद्रव करने लगते हैं। 

खुलेआम चल रहा नशे का कारोबार

करौंदिया ओवरब्रिज के पास निरालानगर वाली गली व हनुमान मंदिर के बगल वाली गली और भट्ठावा रोड पर सुबह से ही इसी मुहल्ले के किशोर व युवक दिनभर  ऑटो में बैठकर व घूम घूमकर गांजा अफीम व चरस बेचते व पीते हैं। फिर शाम को हंगामा करते है। इससे आम जन तो त्रस्त हैं पर जिम्मेदार वर्दीधारियों को कुछ नही दिखता या धन की चकाचौंध में आंखें मूंद लिए है।

रिपोर्टर

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