भिवंडी में डाइंग - साइजिंग कंपनियों का जहरीला धुआं

औद्योगिक प्रदूषण से शहर बना "गैस चेंबर"


प्रशासन की लापरवाही, जनता की जान पर खतरा !

भिवंडी। महाराष्ट्र का भिवंडी शहर औद्योगिक प्रदूषण के चंगुल में फंस चुका है। डाइंग और साइजिंग फैक्ट्रियों से निकलने वाले जहरीले धुएं ने पूरे शहर को 'गैस चेंबर' बना दिया है। लेकिन इस गंभीर समस्या पर नगरपालिका प्रशासन की चुप्पी और लापरवाही ने जनता में आक्रोश बढ़ा दिया है। डाइंग - साइजिंग

फैक्ट्रियों में कचरा, प्लास्टिक और लकड़ी जलाने से उठने वाला जहरीला धुआं शहरवासियों की सेहत पर सीधा हमला कर रहा है। दमा, टीबी और त्वचा रोग जैसी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। बच्चों और बुजुर्गों की हालत खराब हो रही है लेकिन नगरपालिका प्रशासन इस खतरे को नजरअंदाज कर रहा है। शहर के नागरिकों का कहना है कि फैक्ट्रियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता की जा रही है। कई बार शिकायतें दर्ज कराई गईं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने अब तक ठोस कदम नहीं उठाए। स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगरपालिका के पर्यावरण विभाग अधिकारियों और फैक्ट्री मालिकों के बीच सांठगांठ चल रही है। फैक्ट्रियों के प्रदूषण फैलाने के बावजूद उन्हें चलने दिया जा रहा है। घूसखोरी और भ्रष्टाचार ने इस समस्या को और गहरा कर दिया है। प्रदूषण से त्रस्त शहरवासियों ने अब सख्त चेतावनी दी है। अगर नगरपालिका प्रशासन जल्द कार्रवाई नहीं करता, तो बड़े पैमाने पर आंदोलन किया जाएगा। "भिवंडी की हवा जहरीली हो रही है और प्रशासन चैन की नींद सो रहा है। क्या जनता को मरने के लिए छोड़ दिया गया है ?. एमपीसीबी (महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) व भिवंडी पालिका के पर्यावरण विभाग के अधिकारियों पर इस गंभीर मुद्दे की अनदेखी का आरोप लग रहा है। बताया जा रहा है कि भिवंडी के कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है। 350 से अधिक डाइंग और साइजिंग इकाइयों के जहरीले धुएं से स्थानीय लोग परेशान हैं, लेकिन शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

पालिका सुत्रों की माने तो पर्यावरण विभाग  ऐसी कंपनियों को एन ओसी देने पर लाखों रूपये का गोरखधंधा करती आ रही है।विभाग प्रमुख से लेकर नियंत्रण अधिकारी बनने के लिए लाखों की बोली लगती है। पालिका के सरकारी फ्री आंकडे देखे तो डाइंग कंपनी को ना हरकत (NOC) देने के एवज 10 हजार,साइजिंग कंपनी को 5 हजार ,मोती कारखाने पर 1500 और अन्य छोट उद्योग पर 1000 रूपये फ्री वसूल करने का नियमावली है। किन्तु यह फ्री के आलावा अधिकारी कंपनियों से मोटी रकम वसूल करते आ रहे है। नगरपालिका प्रशासन की लापरवाही के चलते भिवंडी का भविष्य खतरे में है।"अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो भिवंडी प्रदूषण के कारण एक बीमार शहर बन जाएगा।"

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट