भिवंडी में प्रदूषण का काला खेल !!

प्रशासन की मिलीभगत से साइजिंग-डाइंग कंपनियां उगल रहीं ज़हर

भिवंडी। भिवंडी-निज़ामपुर महानगर पालिका क्षेत्र में प्रदूषण ने हाहाकार मचा दिया है। साइजिंग और डाइंग कंपनियों की मनमानी और प्रशासन की अनदेखी ने स्थानीय निवासियों के लिए सांस लेना तक मुश्किल कर दिया है। प्रशासक राज के तहत चल रही इस लापरवाही से जनता का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

पालिका क्षेत्र में करीब 250 से अधिक साइजिंग और डाइंग कंपनियां बिना किसी रोक-टोक के संचालित हैं। ये कंपनियां अपने बॉयलरों में लकड़ी, प्लास्टिक,रबर, पुठ्ठा और कचरा जलाकर स्टीम तैयार कर रही हैं। इन चिमनियों से निकलने वाला काला धुआं और राख पूरे शहर में फैल रही है। मकानों की छतों और आसपास क्षेत्रों में राख की मोटी परतें जम रही हैं। वहीं, इन कंपनियों का गंदा और जहरीला पानी सीधे गटर में बहाया जा रहा है। पानी में घुले रसायन और रंगों ने नालों और आसपास की जमीन को जहरीला बना दिया है।

पालिका प्रशासन का रवैया इस मुद्दे पर बेहद लापरवाह नजर आ रहा है। सूत्रों की मानें तो इन कंपनियों से हर साल भारी रिश्वत लेकर NOC जारी की जा रही है। प्रशासन के पास न तो प्रदूषण मापने की कोई मशीन है और न ही हवा की गुणवत्ता जांचने की लैब। बावजूद इसके, कंपनियों को मनमानी की खुली छूट दी जा रही है और उन्हें NOC. जारी कर दिया जाता है। यही नहीं पालिका का पर्यावरण विभाग की जिम्मेदारी पूरी तरह से अक्षम और गैर-तकनीकी लोगों के हाथों में है। यहां तक कि ठेके पर काम करने वाले लोग पालिका के दस्तावेजों व चलन पर हस्ताक्षर कर रहे है।

प्रशासक राज में भ्रष्टाचार चरम पर है.NOC के नाम पर कंपनियों से मोटी रकम वसूली जा रही है। यह रकम रिश्वत के रूप में सीधे अधिकारियों की जेब में जा रही है। कंपनियों को नियमों का उल्लंघन करने की छूट इसी भ्रष्टाचार का नतीजा है। रहवासी इलाकों के बीच चल रही इन कंपनियों का जहरीला धुआं और गंदा पानी लोगों की सेहत को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। सांस की बीमारियां, फेफड़ों की समस्याएं और त्वचा रोग आम हो गए हैं। सबसे अधिक खतरा बच्चों और बुजुर्गों पर मंडरा रहा है। पालिका प्रशासन के पर्यावरण विभाग की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। विभाग के पास न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही विशेषज्ञता। इसके बावजूद, विभाग केवल कागजी खानापूर्ति कर रहा है। पालिका प्रशासन की अनदेखी और भ्रष्टाचार के चलते भिवंडी के नागरिकों का जीवन संकट में पड़ गया है। सवाल उठता है कि क्या प्रशासक राज का मतलब केवल भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी है।यदि समय रहते इन साइजिंग और डाइंग कंपनियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो आने वाले दिनों में भिवंडी में पर्यावरणीय आपदा निश्चित है।

रिपोर्टर

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