
काशी विद्यापीठ में नए 14 कोर्ष को मंजूरी
- Hindi Samaachar
- Jul 31, 2018
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वाराणसी : महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में 14 विषयो को चलाया जायेगा जिसमे अब बीएड-एमएड एक साथ किया जा सकेगा। विवि प्रशासन अगले सत्र से तीन वर्षीय बीएड-एमएड इंटीग्रेटेड कोर्स शुरू करने जा रहा है। इसके अलावा पंचवर्षीय विधि शुरू करने का निर्णय लिया गया है। विद्या परिषद में इसकी सैद्धांतिक सहमति बन गई है। कार्य परिषद के अनुमोदन के बाद नए पाठ्यक्रम संचालित किए जाएंगे।
कुलपति प्रो. टीएन सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को हुई विद्यापरिषद ने सभी नए पाठ्यक्रमों को संचालित करने की हरी झंडी दे दी। इस क्रम में सीबीसीएस आधारित 23 कोर्स शुरू करने की भी विद्यापरिषद से स्वीकृति मिल गई। च्वॉयस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के तहत स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर 23 नए पाठ्यक्रम वर्तमान सत्र से शुरू होंगे। बैठक में कुलसचिव डा. एसएल मौर्य सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
दो स्तर के होंगे पाठ्यक्रम
सीबीसीएस के तहत पहला पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय व दूसरा विभाग के स्तर का होगा। विश्वविद्यालय और विभाग स्तर के पाठ्यक्रम से एक-एक का चयन करना होगा। पूर्णाक 100 अंक का होगा। पाठ्यक्रम के अनुसार क्रेडिट अंक निर्धारित किए जाएंगे।
विश्वविद्यालय स्तर के कोर्स
गाधीयन रचनात्मक कार्यक्रम पर्यावरण संतुलन
कम्यूनिकेशन स्किल
मौलिक कर्तव्य
नए पाठ्यक्रमों के नाम
चिकित्सा विज्ञान संकाय के तहत : पीजी डिप्लोमा इन डायबिटीज एजुकेशन, बीएससी (फिजीशियन असिस्टेंट) व मास्टर इन हास्पीटल मैनेजमेंट। बीएससी (माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमेस्ट्री, फिजियोलॉजी, यूट्रीशन, डायबिटीज साइंस, क्लीनिकल रिसर्च हेल्थ केयर मैनेजमेंट, फूड एंड न्यूट्रीशन हॉस्पीटल मैनेजमेंट)।
विज्ञान व प्रौद्योगिकी संकाय के अंतर्गत : एमएससी (फूड एंड न्यूट्रीशन), बीएससी (बायोकेमेस्ट्री, फूड एंड न्यूट्रीशन)
शारीरिक शिक्षा विभाग में
एमए (शारीरिक शिक्षा)
काशी विद्यापीठ ने गंगापुर परिसर में 50 बेड का नेचुरोपैथी व योगा अस्पताल खोलने का निर्णय लिया है। गंगापुर (भैरव तालाब) में 50 बेड के अस्पताल के लिए भी विद्या परिषद ने स्वीकृति दे दी है। तत्कालीन कुलपति प्रो. सुरेंद्र सिंह ने गंगापुर परिसर में वर्ष 2004 में डा. विभूति नारायण सिंह आयुर्विज्ञान संस्थान की आधारशिला रखी थी। इसके तहत वर्ष 2005 में गंगापुर परिसर में आयुर्वेद, होम्योपैथिक व एलोपैथिक तीनों विधा के चिकित्सालय भी शुरू किए गए थे। मान्यता के अभाव में वर्ष 2007 में इसे बंद कर दिए गए। अब मेडिकल कालेज के लिए नए सिरे से आधार तैयार किया जा रहा है।
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