मंदिर में अखंड भारत का मानचित्र ही आराध्य

वाराणसी : भगवान शंकर की नगरी काशी में एक अनूठा मंदिर भारत माता का भी है। यहां पूजा-उपासना और ध्यान के लिए कोई देव विग्रह नहीं बल्कि कैलास मुकुटधारी मां भारती के अखंड ऐश्वर्य की झांकी विराजमान है। जमीन पर उकेरा गया भारत वर्ष का मानचित्र, यदि मानो तो यही मूर्ति है 
इस मंदिर में विद्यमान मां भारती की भू-चित्र झांकी कालजयी रचनाकार बंकिमचंद्र चटर्जी की रचना को साकार करती प्रतीत होती है।मंदिर की दीवारों पर राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त की विशेष कविता भी शोभायमान है, जो मंदिर के स्थापना उद्देश्यों की ओर ध्यान आकर्षित कराती है। कैंट रेलवे स्टेशन से विश्वविद्यालय मार्ग पर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ परिसर के दक्षिणी छोर पर गुलाबी पत्थरों से निर्मित मंदिर के चमकते स्तंभ पहली नजर में कदम रोक लेते हैं। दो मंजिले मंदिर के गर्भगृह में कुंडाकार प्लेटफार्म पर उकेरा गया भारत भूमि का विशाल संगमरमरी मानचित्र ही यहां ईष्ट है। मंदिर में अंकित एक शिलालेख के अनुसार तत्कालीन कला विशारद बाबू दुर्गा प्रसाद खत्री के निर्देशन में मिस्त्री सुखदेव प्रसाद व शिवप्रसाद ने 25 अन्य बनारसी शिल्पकारों संग मिलकर पूरे छह वषों में यह मंदिर तैयार किया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1936 में काशी प्रवास के दौरान इस धरोहर को राष्ट्र को समर्पित किया था। भारत माता मंदिर में नियमित पूजा का कोई प्रावधान नहीं है, न ही यहां कोई पुजारी नियुक्त है। स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस आदि मौकों पर मंदिर की सजावट होती है। नियमित तौर पर पर्यटकों का आगमन होता है।
सबका स्वागत, सबका आदर- भारत माता का यह मंदिर समता का संवाद यहां। सबका शिव कल्याण यहां है पावै सभी प्रसाद यहां।नहीं चाहिए बुद्धि वैरकी भला प्रेम उन्माद यहां, कोटि-कोटि कंठों से मिलकर उठे एक जयनाद यहां। जाति, धर्म या संप्रदाय का नहीं भेद व्यवधान यहां, सबका स्वागत सबका आदर सबका सम-सम्मान यहां

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