यहां चारे -पानी और इलाज के अभाव में मरी हुई गायों को खुले में कर दिया जाता है चील कौवों के हवाले
- Hindi Samaachar
- Jul 09, 2020
- 348 views
सूइथाकला, जौनपुर ।। विकासखंड सुइथाकला की गोशाला में रखे गए पशु चारे- पानी और इलाज के अभाव में तड़प - तड़प कर दम तोड़ दे रहे हैं।कुछ तो बेचारे ब्लॉक के अधिकारियों की लापरवाही की बलि चढ़ गए तो बाकी बची हुई गायों की केवल हड्डियां ही दिखाई दे रही हैं।सूबे की योगी सरकार ने अवैध बूचड़खाना को तो यह समझकर बंद करवा दिया और गौशालाओं का निर्माण करवाया तथा चारे पानी, चिकित्सा की व्यवस्था करवा दिया जिससे कि गोमाता तथा उनके पुत्रों को अवैध बूचड़खाना में जाने से रोका जा सके लेकिन अब यह गोशाला ही इन लाचार , निर्दोष और मासूम जानवरों के लिए बूचड़खाना बन गई।बूचड़खानों में तो सिर कटते समय ही कुछ क्षणों के लिए ही पीड़ा होती है लेकिन पशु चारे पानी और इलाज के अभाव में तड़प तड़प कर दम तोड़ दे रहे हैं।इनकी जिंदगी तो अब बूचड़खानों से भी बदहाल है , नर्क से भी बदतर है। मरना तो और बात है लेकिन इन्हें मरने के बाद खुले में सड़ने गलने और चील कौवों के हवाले कर दिया जाता है ।इसके थोड़ी ही दूरी पर बस्तियां हैं और क्षेत्र पंचायत कार्यालय,खंड शिक्षाधिकारी कार्यालय तथा अस्पताल भी है चारों ओर भयानक महामारी के संक्रमण की आशंका बनी हुई है।गोशाला और ब्लॉक एकदम सटे हुए हैं।
इन्हें गोशाला के पीछे खुले में ही फेंक दिया जाता है जिससे बीमारियां उत्पन्न होने तथा संक्रमण का खतरा बना हुआ है। चिंता का विषय तो यह है कि जब सरकार पर्याप्त चारे - पानी तथा इलाज की व्यवस्था कर रही है प्रत्येक जानवर के हिसाब से धनराशि भेज रही है तो फिर भी जानवर भूख - प्यास से क्यों मर रहे हैं?आखिर चारे- पानी और दवा के लिए स्वीकृत धनराशि बीच में कहां गायब हो जा रही है?सरकार भी इसके लिए पारदर्शिता युक्त ठोस कदम नहीं उठा रही है जिससे जानवरों की हालत जानी जा सके और न ही कोई जांच की उच्च स्तरीय कमेटी गठित करके भेज रही है जो यह सुनिश्चित करके शासन को अवगत करा सके कि पशुओं को पर्याप्त व्यवस्था दी जा रही है कि नहीं।
रिपोर्टर