
आपसी सुलह के वाबजूद पुलिसिया रौब की खोप पर पांच दिन बाद जबरन ली गई आवेदन दर्ज की गई प्राथमिकता
- Lalu Yadav, Reporter Jharkhand/Bihar
- Aug 19, 2020
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सिमुलतला से मुकेश कुमार की रिपोर्ट
बिहार ।। सिमुलतला संवादाता ।मंगलवार को सिमुलतला थानाध्यक्ष द्वारा काण्ड संख्या 60/20 में प्रथमिकी दर्ज कर घोरपारण गांव में हुई सड़क दुर्घटना में शामिल ट्रक ड्राइवर को न्यायिक हिरासत भेज दिया गया। घटना के बाद से ट्रक ड्राइवर को चार दिनों तक पुलिस हिरासत में रखने के बाद लिया गया आवेदन किया गया प्रथमिकी।और आपसी समझौता के पांच दिन बाद पीड़ित परिजनों को जबरन थाना लाकर प्राथमिकी के लिये दस्तखत करवाया गया।
बताते चलें कि बीते 13 अगस्त को सिमुलतला थाना क्षेत्र के घोरपारण गांव में ट्रक एवं आटो की टक्कर में उसी गांव का गिरधारी रॉय की पत्नी सकुना देवी की मौत हो गई थी। घटना के बाद पुलिस द्वारा ट्रक एवं चालक को थाना लाया गया। इधर ग्रामीणों ने ट्रक की गलती नहीं होने के कारण ट्रक मालिक द्वारा पीड़ित परिजनों से मिलकर मामले को सुलह कर लिया गया। लिहाजा प्राथमिकी के लिए थाना में कोई आवेदन नही दिया गया। उसके वाबजूद थानाध्यक्ष ट्रक एवं चालक को छोड़ने के लिये तैयार नहीं हुवे। इस संदर्भ में ट्रक मालिक डाक्टर यादव ने बताया कि ट्रक एवं चालक को छोड़ने के लिए पिछले चार दिन से थाना का चक्कर लगा रहा हूं लेकिन थानाध्यक्ष गाड़ी को छोड़ने के लिए दो लाख रुपये बतौर रिश्वत मांग रहे हैं, यह बात थानाध्यक्ष के समक्ष बैठे एक दूसरे व्यक्ति ने कहीं।यह बात जैसे ही मीडियाकर्मियों के संज्ञान में आया कि समाचार पत्रों में खबरे प्रकाशित होने लगी।लिहाजा बौखलाए थानाध्यक्ष ने मृतिका के पति एवं पुत्र को जबरन उठाकर थाना लाया और पुलिसिया धौंस दिखा कर प्राथमिकी की कापी पर दस्तखत करवा लिया। दबे जुबान से मृतिका के परिजनों ने बताया कि चार दिनों से लगातार पुलिस हमलोगों पर प्राथमिकी दर्ज करने का दबाव बना रही थी, लेकिन हमलोग केश मुकदमा नही लड़ना चाहते हैं।इसके बाबजूद भी पुलिस द्वारा मंगलवार को जबरन थाना ले जाया गया, और एक सादा कागज पर दस्तखत ले लिया है। पुलिस की दहशत इनलोगों में इतनी अधिक है, कि खुलकर ये लोग कुछ भी बताने से इनकार कर रहे हैं। पुलिस की इस मनमानी को लेकर सिमुलतला क्षेत्र में भी चर्चाओं का बाजार गर्म है।आखिर किस विधि संगत के आधार पर चार दिनों तक किसी को हिरासत में रखा गया।और पुनः प्रथमिकी दर्ज कर न्यायिक हिरासत भेज देना पुलिस प्रक्रिया को संदिग्ध करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती है।
कहते है डीआईजी
इस संदर्भ में डीआईजी मनु महाराज से हुई बातचीत में उन्होंने कहा प्रथम दृश्या तो मैं मामले की जांच करवाऊंगा, जांचोपरांत विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी, लेकिन यदि जिन लोगों के साथ इस प्रकार की ज्यादती हुई है उनके द्वारा एक लिखित आवेदन मुझे प्राप्त होता तो मुझे कार्रवाई में सुविधा होगी
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