देश भक्त देश को भ्रमित करने वालों की जब खोल रहे पोल, तो पेट में दर्द क्यों-- अध्यक्ष
- आशुतोष कुमार सिंह, ब्यूरो चीफ बिहार
- Oct 08, 2025
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राष्ट्र को बचाने के लिए होना होगा सतर्क--
संवाददाता श्याम सुन्दर पांडेय की रिपोर्ट
दुर्गावती (कैमूर)-- जिला अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग 19 कुदरा नगर पंचायत स्थित राष्ट्रीय सवर्ण समाज संघ प्रदेश कार्यालय पर एक औपचारिक भेंट वार्ता के दौरान राष्ट्रीय सवर्ण समाज संघ के बिहार प्रदेश अध्यक्ष सह स्वतंत्र कलमकार कुमार चन्द्र भुषण तिवारी द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई के उपर सुप्रीम कोर्ट के बुजुर्ग अधिवक्ता राकेश किशोर द्वारा जूते फेंके जाने के सवाल पर कहा, कि अब लोग जग रहे हैं देशभक्त गंवार एवं गद्दारों की पोल खोल रहे हैं, तो हरामखोर व देशद्रोहियों की पेट में ऐंठन होना सामान्य बात है। संविधान का निर्माण बी एन राव ने किया था डॉक्टर अंबेडकर नहीं, इस छिपाए गए तथ्य को अब जनता जान चुकी है, आखिरकार सत्य तो एक दिन सामने जरूर आता है। न्यायाधीश के कुर्सी पर बैठकर सनातन धर्म के ऊपर इस तरह की टिप्पणी करना यदि जायजा है, तो अधिवक्ता राकेश किशोर ने न्यायालय परिसर में जो किया गया वह नाजायज कहां से ठहराया जा सकता है। इसी तरह से कटु सत्य ग्वालियर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल मिश्रा के द्वारा तथाकथित संविधान निर्माता भीम राव अंबेडकर के विषय में जब कहा गया तो अंबेडकर वादियों के दिल में उबाल आ गया। उनके उपर एफ आई दर्ज कराया गया,तो वो स्वयं अपनी गिरफ्तारी देने पहुंच गए,जब भीमवादी प्रशासन के द्वारा देखा गया की अब तो सबकी पोल खुल जायेगी तो अंततः गिरफ्तारी नहीं हुई और वहां के प्रशासन अलग-थलग दिखने लगा। जिस तरह से बीती सरकारों ने इतिहास को दबाकर लोगों के बीच में झूठ परोसा है उसका अब पर्दाफाश हो रहा है, तो लोगों के पेट में ऐंठन तो आएगा ही लेकिन वह ऐंठन सत्य को छिपा नहीं सकता। न्यायालय के फैसला जिस तरह से एक तरफा आते रहे हैं, और एक तरफ आधी रात को न्यायपालिका को न्यायाधीश खोल रहे है, तो उस पर तो सवाल होगा ही। देश की जनता अब पढ़ी-लिखी है, और किसी तथ्य को छुपाया नहीं जा सकता। आज भारत का संचार माध्यम और मजबूत हुआ है इसलिए न्यायाधीशों को भी या राज नेताओं को भी हर बात सोच समझ कर बोलनी और कहनी चाहिए नहीं तो जनता कभी माफ नहीं करेगी। और आप सभी को अयोग्यता आरक्षण के तहत योग्यता की बलात्कार करने वालो से सतर्क रहना होगा, क्योंकि वो अपनी फायदे के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं।
जैसे-
राष्ट्र के बहुसंख्य लोगों सरकारी स्कूल व सरकारी अस्पतालों में अच्छे शिक्षक व डॉक्टर न होने की रोना रोते हैं पर उन्हीं के द्वारा जाति के नाम पर आरक्षण की भी मांग किया जाता है,जो की शर्मनाक है।


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