गुरु श्री विश्वभरनाथ नाथ की 43वीं पुण्यतिथि पर हुआ जत्रा का आयोजन


तलेन ।। नगर के उगल नदी के किनारे स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्री सदगुरू आश्रम पर परमपूज्य गुरुदेव श्री विश्वभरनाथ जी व्यास की स्मृति में लगातार 43वें वर्ष भी  भव्य आयोजन संपन्न  हुआ। सोमवार के दिन प्रातःकाल से ही आश्रम पर श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो गया जो देर शाम तक चलता रहा। उल्लेखनीय है कि गुरूजी के नाम से प्रसिद्ध गृहस्थ संत विश्वम्भरनाथ जी व्यास का जन्म राजगढ़ जिले के सुठालिया में हुआ था, तथा वे तलेन में शिक्षक के रूप से पदस्थ होकर आए थे। बाद में उन्हें वैराग्य हुआ और कठोर साधना के पश्चात उन्हें ऐसी लोकमान्यता प्राप्त हुई कि आज पूरे क्षेत्र के घर-घर में उन्हें ईश्वर रूप में पूजा जाता है। 1977 की कार्तिक पूर्णिमा के दिन उनका देहावसान हुआ, तभी से उनकी स्मृति में जतरा का आयोजन होता है, इस अवसर पर हवन-पूजन और प्रसाद वितरण किया जाता है। इस बार भी कोरोना  महामारी के बावजूद श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, हांलाकि जनजागरूकता के चलते लोग मास्क का उपयोग करते दिखाई दिए। इस अवसर पर हवन के साथ ही भजन-कीर्तन भी सम्पन्न हुआ। पूज्य गुरुदेव के परिजनों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

जत्रा में  लगी विभिन्न प्रकार की दुकाने

बच्चे जहां जतरा में आए खेल-खिलौनों और मिठाई की दुकानों पर जमे दिखे, वहीं महिलाओं की निगाह गृह उपयोगी और मनिहारी सामान की दुकानों पर रही। इस बार का साप्ताहिक हाट बाजार आश्रम के आसपास ही लगाया गया था इसलिए लोग फल और सब्जी खरीदते भी दिखे। हवन सम्पन्न होने के बाद भगवान शंकर, हनुमानजी और पूज्य गुरुदेव की आरती उतारी गई और प्रसाद रूप में बूंदी का वितरण किया गया।

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