बीएचयू और ट्रामा सेंटर के नाम पर लुटे जाते हैं बिहार के मरीज
- Lalu Yadav, Reporter Bihar
- Dec 10, 2020
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दुर्गावती से संवाददाता धीरेंद्र कुमार सिंह की रिपोर्ट
दुर्गावती ( कैमूर ) ।। बिहार के मरीजों को लूटने के लिए उत्तर प्रदेश बिहार की सीमा के बाद मरीजों पर गिद्ध की दृष्टि लगाए बैठे है हॉस्पिटल खोल डॉक्टर । वाराणसी में माफियाओं का एक रैकेट जहाँ हेरिटेज,मैक्सवेल, सिंह, अपेक्स, जागृति, चंदौली में एसपी सर्जिकल, साईं शैलजा, वाराणसी के अलखनंदा जैसे अनेकों हॉस्पिटल नामी गिरामी हॉस्पिटल का बोर्ड लगाकर हॉस्पिटल खोल कर भाड़े पर डॉक्टरों को रखकर इन दिनों बिहार के कराहते चिख और चिल्लाते हुए मरीजों को बेदर्दी और बेरहमी से लूटते हैं ।बता दें कि बिहार के बक्सर आरा सासाराम बिक्रमगंज पीरों कोचस कैमूर डेहरी इत्यादि जिले में डॉक्टरी चलाने वाले डॉक्टरों तथा ग्रामीण डॉक्टरों के संपर्क में है ।ए बड़े हॉस्पिटल। जहां गंभीर अवस्था में होने से मरीजों को बेहतर इलाज के लिए ट्रामा सेंटर में या बीएचयू में मरीजों को सीमापवर्ती जिले के डॉक्टरों से संपर्क कर वाराणसी के बीएचयू और ट्रामा सेंटर में इलाज कराने के नाम पर मरीजों को ले जाते हैं ।और बीएचयू में जगह नहीं मिलने के कारण लंका मेडिकल पर और चौमुहानी पर बैठे दलालों को सुपुर्द कर देते हैं। जिससे असहाय मरीज को लूटने के लिए आराम से चारागाह मिल जाता है। सबसे बुरी हालात वाराणसी के बीएचयू और ट्रामा सेंटर की है ।जहां बिना पैरवी के या डॉक्टरों के आवास पर जाकर फिश दिए बिना इस संस्था में कोई सुविधा मरीजों को नहीं मिल पाती। बॉर्डर से शुरू होता है प्राइवेट एंबुलेंस चालकों का भी खेल जो चंदौली चकिया मोड़ मुगलसराय टेंगरा मोड़ इत्यादि जगहों पर निस्सहाय मरीजों को पहुंचा कर बड़ा कमीशन ले वापस हो जाते हैं ।जबकि यह वाराणसी क्षेत्र प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र एवं सीमा से सटे केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे से मिलती है। लेकिन सरकार और विभाग ऐसे डॉक्टरों से निपटने के लिए अपनी तरफ से कोई पहल नहीं कर पा रही है। यही नहीं सरकारी डॉक्टरी में नौकरी नहीं मिलने के बाद पढ़े लिखे डॉक्टरों को अपने यहां रख लेते हैं ।और उन्हें खासा पेमेंट भी देते हैं। मरीजों को आराम तो मिलता है लेकिन शरीर से पूरा खून चूस लेने के बाद ।कोई पत्नी की गहना कोई खेत को बेच देता है इलाज के लिए तो कोई ब्याज पर पैसा ले इन डॉक्टरों की भरपाई करता है ।यदि संजोग बस जिसके पास पैसा न रहे वैसे मरीजों को वैसे हॉस्पिटलों पर मूसरचंड प्रहरी जबरजस्ती तब तक हॉस्पिटल में से नहीं निकलने देते जब तक वह पैसा नहीं चुकता कर देते। बेशर्मी की हद तो तब पार कर देते हैं ए प्राइवेट हॉस्पिटल धारक जब कोई मरीज हॉस्पिटल में मर जाता है ।उसका लाश भी उन मरीजों को तब तक नहीं दी जाती जब तक वह पैसा नहीं चुकता कर देते।
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