बीएलओ घर पर बैठकर कर रही थी वोटर लिस्ट में सुधार, दबाव पड़ने पर पहुंची गांव में, लेकिन ....

बिना कागज पत्र के पहुंची वोटर लिस्ट में सुधार करने

सुइथाकला, जौनपुर।

जौनपुर जिले के पश्चिम उत्तरी छोर पर बसे गाँव भेला में पंचायत चुनाव के मद्देनजर वोटर लिस्ट में सुधार का कार्यक्रम बी एल ओ अपने घर से चला रही हैं।  एडीओ पंचायत रमाशंकर सिंह से इस बाबत फ़ोन से शिकायत करने पर 12 बजे दोपहर में बीएलओ प्राथमिक विद्यालय पर पहुँची। बीएलओ से बात करने पर उन्होंने बताया कि हर गाँव में बीएलओ घर से ही कार्य कर रहे हैं इसीलिये मैं भी घर पर थी। नाम जोड़ने व सुधार हेतु भरा जाने वाला फार्म माँगने पर उन्होंने बताया कि शासन से एक पेन के अलावा उन्हें और कुछ प्राप्त नहीं हुआ है । गाँव वालों को इसकी कोई सूचना तक नहीं दी गई थी जिसकी शिकायत गाँव के ही सामाजिक कार्यकर्ता रबीन्द्र बिंद ने फ़ोन पर रजिस्टार कानूनगो को दिया।


बी एल ओ मैडम एक तो किसी तरह विद्यालय पर आईं किन्तु उनके पास कोई फार्म नहीं और गाँव में सूचना तक नहीं। इसके लिये अंतिम तिथि के बारे में जब एडीओ पंचायत से बात की गई तो उन्होनें प्रश्न का सटीक उत्तर देने से कतराते हुए कहा कि आपके गाँव में ज्यादा से ज्यादा 150 फार्म होगा ,उसे जल्दी से भरवा दीजिये। कहीं कहीं लिस्ट में रिश्तेदारों तक के नाम पड़े हुए हैं जो प्रजातंत्र की न्याय प्रक्रिया के लिये एक चुनौती है। 

सोचने का विषय है कि किसी को सूचना तक नहीं है और 3 घण्टे के अल्प समय में सूचना गाँव में देना , उनको फार्म किसी दुकान से लाना और भरकर जमा करने का कार्य सम्भव है क्या? आखिर सरकारी कर्मचारी ऐसी लापरवाही क्यों करते हैं? कहीं ये छुटभैये नेताओं की शहपर तो नहीं हो रहा ? यदि ऐसा है तो इन छुटभैये नेताओं की साँठगाँठ से बनने वाली वोटर लिस्ट में चुनाव परिणाम जनता के बजाय सरकारी तंत्र व छुटभैये नेताओं का मिला जुला तंत्र ही तय करेगा। 


गाँव के लोग चाहते हैं कि शासन द्वारा गाँव का वोटर बनने के स्पष्ट मानक बताते हुए  घर घर जाकर उनके वोटर लिस्ट को पूर्ण करने की व्यवस्था की जाय।

रिपोर्टर

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