जारी है अवैध निर्माण पर साहब नींद में है ! पनवारी के अवैध इमारत पर कधी होणार कार्रवाई ?

भिवंडी।। शहर में अवैध रूप से बन रही इमारतों की संख्या सैकड़ों में हैं। लेकिन कार्रवाई के नाम पर अधिकारी हमेशा खानापूर्ति कर अपना पल्ला झाड़ लेते है.जिसके चलते शहर में हजारों अवैध इमारते मनपा के अधिकारियों की मिलीभगत से खड़ी हो गयी है.जिसका जिता जागता सबूत मनपा के प्रभाग समिति क्रमांक चार अंर्तगत मौजे नारपोली सर्वे नबर 38, पुराना घर नंबर 776,  777 बन रही पांच मंजिला अवैध इमारत है.आश्चर्य की बात है यह बिल्डिंग एक पनवारी छाप बिल्डर बना रहा है.यही नहीं मनपा के किसी तज्ञ इंजिनियर ने इसका नक्शा भी पास नहीं किया है. सुत्रों व प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो यह बिल्डिंग पनवारी ने मात्र तीन महीने में बनाकर खड़ी कर दिया है.आनन फानन में बनी यह अवैध इमारत कभी भी ताश के पत्ते के समान गिर सकती है.जिसका खामियाजा इसमें रहने वाले को‌ भुगतना पड़ सकता है.जिलानी बिल्डिंग हादसे की‌ पुनरावृत्ति होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।                           

बहरहाल मनपा आयुक्त डाॅ.पंकज आशिया ने अवैध इमारतों पर कार्रवाई करके जीपीएस फोटो खींचने का आदेश बहुत पहले ही दे चुके है किन्तु प्रभाग अधिकारी व अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी निभा रहे विश्वासपात्र कई अधिकारियों ने इनके आदेश की जमकर धज्जियां उड़ाई है और अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भी गुमराह किया जाता रहा है। 

शहर में अवैध रूप से बनें अपार्टमेंट और अन्य बिल्डिंगो की संख्या हजारों में है.जिसे प्रभाग अधिकारी और उनके पास मौजूद रिका‌र्ड्स भी मानते हैं.लेकिन पिछले पांच सालों में अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर सिर्फ गिनी चुनी बिल्डिंगो पर ही मनपा प्रशासन का हथौड़ा चल सका है.जो कि अवैध निर्माण की फेहरिस्त को कहीं से कम करता हुआ नहीं दिखाई पडा.शायद यही कारण है कि शहर का अनियोजित ढंग से विकास होता चला जा रहा है, जिसका खामियाजा शायद हमें आने वाले सालों में उठाना भी पड़े। जानकारी के मुताबिक यदि एक बार बिल्डिंग बन गई तो कोर्ट के आदेश के बिना उसे गिरा पाना आसान नहीं है.आलम यह है कि शहर में सील इमारतों पर निर्माण कार्य हो रहे है.वहीं चिन्हित की गई अवैध निर्माणों की सूची के तहत बड़ी संख्या में अवैध निर्माण और नियम विपरीत उपयोग करने वाले इमारतों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.सभी अवैध निर्माण उसी तरह खड़े हुए है.जिसका नतीजा है कि लगातार इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। 

शिकायत के बाद बढ़ जाती है भष्ट्र अधिकारियों की कमाई :
निर्माण शुरू होने के बाद अगर किसी ने शिकायत कर दी तो प्रभाग अधिकारी, बीट निरीक्षक व अतिक्रमण हटाने वाले प्रमुखो की कमाई और भी बढ़ जाती है.बिल्डर को नोटिस भेजी जाती है और कार्रवाई के नाम पर इमारत तोड़ देने का दिखावा किया जाता है.इस दौरान शिकायतकर्ता को भी लगता है कि अधिकारी  कार्रवाई कर रहे है। लेकिन कुछ समय बाद वही बिल्डर सफेद पोश नेताओं को‌ लेकर दबाव बनाता है और फिर रेट तय होता है.प्रति फ्लोर एक लाख से तीन लाख रुपए तक बिल्डर से वसूल किए जाते है.जिसका हिस्सा मनपा मुख्यालय में बैठे उच्च अधिकारियों तक समय समय पर पहुँचता रहता है.
     
सुत्रों की माने तो नारपोली के हाफिज नगर में पनवारी बिल्डर द्वारा बनायी जा रही अवैध इमारत को लेकर मनपा के अधिकारियों ने पनवारी से सांठगांठ व रेट फिक्स किया है जिसके ‌कारण पांच मंजिल का काम पूरा होने के बाद भी‌ उसके ऊपर स्थानीय पुलिस थाना में ना तो शिकायत दर्ज करवाई गयी और ना ही उसके इमारत पर तोड़क कार्रवाई की गयी.यही नहीं इस इमारत के निर्माण की जानकारी प्रभाग अधिकारी व अतिक्रमण प्रमुख को होने के बाद भी केवल मनपा अधिनियम व नगर रचना अधिनियम के अंर्तगत केवल 260 की नोटिस दी गयी है.मनपा के अधिकारी इस पनवारी बिल्डर पर इतने मेहरबान क्यों है.इसका पता नहीं‌ ? इसके पूर्व भी यह पनवारी बिल्डर सोमा नगर, माधवनगर तथा विठ्ठलनगर में कई अवैध इमारतों का निर्माण कर मनपा प्रशासन को करोड़ों रुपये का चुना लगा चुका है। 

स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मिली भगत की आशंका :
नारपोली गांव के सर्वे नंबर 38 पर पनवारी बिल्डर द्वारा बनवाई जा रही अवैध इमारत के निर्माण कार्य में मनपा प्रशासन के प्रभाग अधिकारी, बीट निरीक्षक व अतिक्रमण प्रमुख के साथ स्थानीय जनप्रतिनियों की मिली भगत से इनकार नहीं किया जा सकता है.मेन रोड़ पर बन रही इस‌ अवैध इमारत की जानकारी पूरे गांव में है.वही‌ पर पनवारी बिल्डर ने इस इमारत के डिजाइन की फोटो को बड़े बड़े होडिंग व बैनर बनवाकर नुक्कड़, चौराहे सहित निर्माणाधीन‌ इमारत पर लगवाया था.किन्तु अफसोस की बात है‌ कि इस वार्ड के चार चार जन प्रतिनिधि होने के बावजूद इसके निर्माण की शिकायत प्रभाग अधिकारी कार्यालय अथवा मनपा मुख्यालय के अधिकारियों से नहीं किया.क्या चक्कर था वह वही जानें ?
पांच,दस साल में अवैध इमारतें धोखादायक :
आनन - फानन तथा घटिया सामग्री से बनायी गयी अवैध इमारतें मात्र पांच से दस वर्ष में जर्जर हो जाती है या उनके पीलर में दरारें आ जाती है जिसके कारण मनपा प्रशासन उन इमारतें को धोखादायक घोषित कर देती है.इसका प्रत्यक्ष प्रमाण भी है.गौरीपाडा, गैबीनगर, साई नगर में ऐसे कई अवैध इमारतें के पीलरों में दरारे आ‌‌ गयी है। ऐसी इमारतों के बिल्डर आनन - फानन में इमारत गिरने से रोकने के लिए लोहे के खंबे लगा देते है.बाद में उन टूटे पीलरों की‌ मरम्मत कर दी जाती है.जानकारों का मामना है‌ कि एक बार इमारत का पाया ( पीलर) में दरार आ गयी तो इमारत का बैलेंस बिगड़ जाता है वह इमारत कभी भी धराशायी होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

प्रभाग अधिकारी व जनप्रतिनियों के संपत्तियों की जांच की मांग :  
भिवंडी मनपा के प्रत्येक प्रभाग समितियों में दर्जनों अवैध इमारतें निर्माणाधीन है.एक रिकार्ड के अनुसार अभी तक लगभग 17 सौं अवैध इमारतें बनकर खड़ी हो गयी है.इसके निर्माण में स्थानीय जन प्रतिनिधियों तथा प्रभाग अधिकारियों की मिली भगत से इनकार नहीं किया जा सकता है ?‌ भारी संख्या में आज भी अवैध इमारतें निर्माणाधीन अवस्था में है गत वर्ष में सामाजिक शैक्षणिक सेवा संस्था के भिवंडी शहर अध्यक्ष अब्दुल सलाम बस्ती वाले ने अवैध इमारतें और उसमें मिली भगत करने वाले जनप्रतिनियों व भष्ट्र अधिकारियों की संपत्तियों का जांच करवाने की मांग को‌ लेकर मनपा मुख्यालय के सामने धरना आन्दोलन व‌ राज्य के मुख्यमंत्री व नगर सविव कार्यालय में पत्र व्यवहार किया है।

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