संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों में जबर्दस्त रोष

वाराणसी : शासन द्वारा सूबे के संस्कृत कालेजों में शिक्षकों की नियुक्तियों पर रोक लगाए जाने से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों में जबर्दस्त रोष है। इससे नाराज छात्रों ने मंगलवार को पठन-पाठन का बहिष्कार कर प्रदर्शन किया। यही नहीं छात्रों ने केंद्रीय कार्यालय का कामकाज भी ठप करा दिया। इस दौरान कुलपति को भी दफ्तर में घुसने नहीं दिया। छात्रों के विरोध के चलते कुलपति को बैरंग वापस होना पड़ा। छात्र पूरे दिन केंद्रीय कार्यालय के समक्ष धरने पर बैठे रहे। इस दौरान छात्रों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। छात्रों ने इस संबंध में कुलपति को ज्ञापन भी सौंपा है।सभा कर वक्ताओं ने कहा कि संस्कृत कालेजों में गत 22 वर्षो से अध्यापकों की नियुक्तियां बंद चल रही थीं। शिक्षकों के अभाव में संस्कृत कालेज बंद होने के कगार पर पहुंच गए थे। वहीं विश्वविद्यालय अधिनियम में कुलपति को संबद्ध कालेजों में अध्यापकों की नियुक्तियों के लिए अनुमोदन देने का अधिकार प्राप्त है। इसे देखते हुए शासन के निर्देश पर तत्कालीन कुलपति प्रो. बिंदा प्रसाद मिश्र ने वर्ष 2014 में संस्कृत कालेजों में अध्यापकों की नियुक्तियां खोल दी।

अब शासन विश्वविद्यालय के अधिकार पर कैंची चलाने का कार्य कर रहा। छात्रों ने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार संस्कृत विरोधी कार्य कर रही है। ऐसे में संस्कृत के छात्र आंदोलन करने के लिए बाध्य हैं। विरोध प्रदर्शन करने वालों में छात्रसंघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजेश कुमार त्रिपाठी, गणेश गिरी, जितेंद्र धर द्विवेदी, प्रांजल पांडेय, प्रदीप कुमार पांडेय, डा. गणेश दत्त शास्त्री, अभिषेक द्विवेदी, डा. साकेत शुक्ल, जगदम्बा मिश्र सहित अन्य लोग शामिल थे।

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