टीबी को लेकर हमेशा बरतें सावधानियां, दवाओं का पूरा कोर्स करना जरूरी

- इलाज के दौरान टीबी मरीजों को बीच में दवाई छोड़ देना साबित हो सकता है घातक

- भीड़भाड़ के इलाके में न थूकें, मुंह पर रुमाल रखकर ही खांसे

बक्सर ।।  टीबी आमतौर पर एमटीबी जीवाणु (माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस) के कारण होता  और यह बहुत धीरे-धीरे बढ़ता , जिससे यह संक्रमण पैदा करता  जो जीवन भर रह सकता है। दुनिया की लगभग एक-चौथाई आबादी के टीबी बैक्टीरिया से संक्रमित होने का अनुमान है। जबकि उन्हें इस बात की खबर तक नहीं होती है। टीबी एक ऐसी बीमारी, जिसका इलाज करवाने से जान बचाई जा सकती है। लेकिन इसके कई मामलों में जानकारी के अभाव या लापरवाही में मरीज खुद अपनी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। टीबी के इलाजरत मरीज दवाओं का पूरा कोर्स नहीं करते। वहीं मरीज कुछ समय दवा खाने के बाद छोड़ देते हैं। जिसके कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मरीजों को समझना होगा कि चिकित्सक उन्हें जितने दिन दवाई खाने को कहें, उतनी दवाएं लेना उनके लिए लाभप्रद होगा। बीच में दवाई छोड़ देना घातक साबित हो सकता है।

हवा के द्वारा फैलता है टीबी माइक्रो बेक्टीरियम :

ट्यूबरक्लोई नामक बैक्टेरिया की वजह से टीबी होता है। जो हवा के द्वारा फैलता है। जब फेफड़े का यक्ष्मा रोगी खांसता या छींकता है तो लाखों-करोड़ों की संख्या में टीबी के रोगाणु थूक के छोटे कणों (ड्राप्लेट्स) के रूप में वातावरण में फेंकता है। यही हवा में तैरते हुए ड्रॉप्लेट्स या बलगम के छोटे-छोटे कण जब सांस के साथ स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते और वह व्यक्ति टीबी रोग से ग्रसित हो जाता है। जिसके बाद उनमें भी टीबी के रोगाणु बढ़ने लगते और उसे टीबी का मरीज बना देते हैं।अगर किसी को हो जाए तो उससे दूसरे को होना भी लाजमी है। इसके बैक्टेरिया तेजी से फैलते हैं। इसलिए टीबी के मरीजों को भीड़भाड़ के इलाके में नहीं थूकना चाहिए। मुंह पर रुमाल रखकर ही खांसी करें। 

टीबी मरीजों की खोज के लिए चलाया गया विशेष अभियान :

सिविल सर्जन सह प्रभारी सीडीओ डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि टीबी के मरीजों की दिनचर्या, उनके रहन-सहन और इलाज के दौरान की पूरी जानकारी के लिए सब नेशनल सर्टिफिकेट (एसएनसी) के तहत जिले के चिह्नित गांवों में सर्वे किया गया। वहीं, टीबी के लक्षण वाले मरीजों का बलगम भी लिया गया। 30 जनवरी से शुरू हुए इस सर्वे में अब तक 6413 घरों में विजिट किया गया। जिनमें 21897 लोगों से टीबी को लेकर पूछताछ की गई है। जिसके आधार पर 119 टीबी के लक्षण वाले मरीजों को चिह्नित किया गया है। जिनमें अब तक एक मरीज में टीबी की पुष्टि हुई है। उन्होंने टीबी मरीजों को सावधान रहने की अपील की। ताकि, उनकी लापरवाही से कोई और इस बीमारी से संक्रमित न हो जाए।

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