जातिवादी मानसिकता व जातिवादी कानूनों की बढ़ोतरी देश को लें जा सकता है गर्त में

जिला संवाददाता कुमार चन्द्र भुषण  तिवारी


कैमूर ।। संवाददाता की कलम से जातिवादी मानसिकता व जातिवादी कानूनों की बढ़ोतरी देश को ले जा सकता है गर्त में, देश की धार्मिक लैंगिक जातिय व क्षेत्र द्वेषीय आधार बन सकता है गृह युद्ध का कारण। यदि पूरे भारत वर्ष में देखा जाए तो आए दिन जातिवादी मानसिकता व जातिवादी कानूनों की बढ़ोतरी की वजह से समाज में देश में हंगामा देखने को मिलता है। जातिवादी कानूनों की वजह से योग्यता का हनन होने के साथ ही जातिवादी विचारधारा में भी बढ़ोतरी देखने को मिलता है। देशवासी अपने आप को पृथक पृथक महसूस करते हैं। जातिवादी मानसिकता के तहत जातिवादी कानूनों की बढ़ोतरी कर योग्यता का बलात्कार और अयोग्यता का बढ़ावा कहीं से भी देश हित में नहीं है। 30 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाला शिक्षक 95 प्रतिशत अंक क्या 30 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाला भी विद्यार्थी कभी पैदा नहीं कर सकता। जिसके कारण देश का विकास तो असंभव है पर विनाश संभव है, जिसके वजह से देश कभी भी गर्त में जा सकता है। देश की धार्मिक, लैंगिक, जातीय व क्षेत्र द्वेषीय कानूनों को भी लोगों के द्वारा अपना कर मानवता को आए दिन शर्मसार किया जाता है। ऐसे कानूनों की वजह से देश में अनेकों बार बड़े से बड़ा दंगा फसाद देखने को मिलते रहा है। इसके बावजूद भी भारत की लोकतंत्र के मंदिर में उपस्थित देश के नेतृत्व कर्ताओं  द्वारा, सत्ता की मलाई चाटने के चक्कर में, सर्वसम्मति से पारित कर दिया जाता है, योग्यता का हनन देश के लिए अभिशाप है। ‌ समाज के बुद्धिजीवी वर्ग कलमकार नेतृत्व कर्ता समाज सेवकों के द्वारा ऐसे कुरीतियों को बदलने हेतु, विचार करने की जरूरत है। अन्यथा देश की धार्मिक, लैंगिक, जातीय व क्षेत्र द्वेषीय आधारित कानून देश में गृह युद्ध का कारण बन सकता है।

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