बचाव और प्रबंधन की हो रही निगरानी, स्वास्थ्य संस्थानों को उपलब्ध कराई जा रही हैं दवाएं

एईएस और हीट वेव से निपटने को स्वास्थ्य विभाग तैयार, बक्सर में 12 और डुमरांव में 15 बेड सुरक्षित


- सिविल सर्जन ने सभी प्रखंडों में एक एक बेड सुरक्षित रखने का दिया निर्देश

बक्सर ।।  जिले में बढ़ते तापमान के साथ ही एईएस और हीट वेव का खतरा मंडराने लगा है। जिसकी चपेट में सबसे अधिक संभावना बच्चों की है। ऐसे में बच्चों को एईएस और हीट वेव से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अपनी ओर से तैयारियां पूरी कर ली हैं। आपात स्थिति से निपटने के लिए सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा के निर्देश पर बक्सर सदर अस्पताल के मलेरिया वार्ड के 12 बेड को तथा डुमरांव अनुमंडल अस्पताल के 15 बेड को एईएस के सुरक्षित किया गया है। साथ ही, सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को अपने अपने स्वास्थ्य केंद्रों में अतिरिक्त एक एक बेड सुरक्षित करने का निर्देश जारी किया गया है। जिसका इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर किया जायेगा। साथ ही, हीट वेव की चपेट में आने वाले लोगों का इलाज भी एईएस के एसओपी की तर्ज पर किया जायेगा।

अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल के निर्देश पर जिले के सभी एमओआईसी को अलर्ट कर दिया गया है। साथ ही, सहयोगी विभागों और संस्थानों को भी एईएस की रोकथाम को लेकर आमजनों को जागरूक करने के साथ ही अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने बताया कि फ्रंटलाइन वर्कर्स अपने क्षेत्र में अभिभावकों को इसके प्रति जागरूक करने में जुट गए है। वहीं, जिले के सभी सरकारी स्कूलों में चमकी बुखार को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जायेगा।

तीन माह तक एईएस का खतरा सबसे अधिक :

डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि एईएस-जेई का खतरा सबसे अधिक अप्रैल से जून तक रहता है। इन तीन महीनों में गर्मी और हीट वेव अपने चरम पर होता है। जिसके कारण एईएस की संभावना भी अधिक रहती है। एईएस से लड़ने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों में तैयारियां की जा रही हैं। जिले की जीविका दीदियों, आशा फैसिलिटेटरों, नर्सों को समय समय पर एईएस से सम्बंधित प्रशिक्षण कराया जा रहा है व आवश्यक जानकारी दी जा रही हैं। उन्होंने कहा बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशुओं और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर उनकी देखभाल करते रहना चाहिए। साथ ही, बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए मौसमी फलों, सूखे मेवों आदि का सेवन कराना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को मां का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है।

रात में सोने से पहले जरूर खाना खिलाए :

पीरामल इंडिया के डीपीओ चंदन कुमार ने बताया कि एईएस से बचाव के लिए अभिभावक अपने स्तर से भी प्रबंधन कर सकते हैं। चमकी बुखार से बच्चों को बचाने के लिऐ बच्चों को रात में सोने से पहले जरूर खाना खिलाएं, सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाकर देखें कि कहीं वे बेहोशी या चमक की हालत में तो नहीं है। बेहोशी या चमक दिखते ही तुरंत एंबुलेंस या नजदीकी गाड़ी से सरकारी अस्पताल ले जाएं और उन्हें तेज धुप से दुर रखें।अधिक से अधिक पानी, ओआरएस अथवा नींबू-पानी-चीनी का घोल पिलाएं। हल्का साधारण  खाना खिलाएं, बच्चो को जंक-फुड से दुर रखे।खाली पेट लिची ना खिलाएं। रात को खाने के बाद थोड़ा मिठा जरूर खिलाऐ। बच्चों को सड़े-गले फल खा सेवन ना कराएं, ताजा फल ही खिलाएं। बच्चों को दिन में दो बार स्नान कराएं। साथ ही, घर के आसपास पानी जमा न होने दें और रात को सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।

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