जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में व्यवसाय प्रशिक्षण कार्यशाला का किया गया आयोजन

कैमूर-- व्यवसाय कार्यालय गृह कारा विभाग भभुआं कैमूर के प्रांगण में बिहार राज्य अपराधियों की प्रशिक्षण अधिनियम 1958 के आलोक में, बिहार में दिनांक 15 जून 1959 से लागू बिहार अपराधी व्यवसाय प्रशिक्षण नियमावली 1959 के विधिक प्रावधानों को जनसाधारण के मध्य प्रचार प्रसार जागरूकता लाने एवं व्यवसाय कार्यों को गतिशीलता एवं उत्कृष्टता प्रदान करने हेतु, जून माह को व्यवसाय माह के रूप में मनाने हेतु माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में कार्य शाला का आयोजन किया गया‌।जिसमें आमंत्रित सम्मानित अतिथियों में उप विकास आयुक्त भभुआं कैमूर, माननीय सीजीएम भभुआं कैमूर, जिला अभियोजन पदाधिकारी भभुआं कैमूर, अधीक्षक मंडल कारा भभुआं कैमूर एवं जिला व्यवसाय कार्यालय भभुआ में पदस्थापित सभी व्यवसाय पदाधिकारी व कर्मि उपस्थित रहें। इस कार्यशाला में व्यवसाय सेवा को सुदृढ़ीकरण एवं जनसाधारण तक इसकी पहुंच को सरल सहज एवं सुगम बनाने हेतु जिला अभियोजन पदाधिकारी के द्वारा बताया गया, कि सामाजिक सुधार में व्यवसाय की अहम एवं महत्वपूर्ण भूमिका है। खासकर विधि विवादित किशोरावस्था को प्राप्त कर चुके बच्चों के सुधार एवं समाज के मुख्य धारा में शामिल करने हेतु व्यवसाय की महत्ता को उजागर किया। कार्यशाला में उपस्थित अधीक्षक मंडल कारा भभुआं के द्वारा बताया गया कि कारा के अंदर बंदीयों को समय पूर्व रिहाई, पैरोल अपराध पीड़ित जांच बंदीयों की काउंसलिंग, बंदी प्रशिक्षण, शैक्षणिक कार्यक्रम के साथ-साथ उन्होंने यह भी बताया कि कारा मुक्ति के पश्चात बंदीयों के पुनर्वास में व्यवसाय पदाधिकारी की बढ़ती भूमिका अहम होती है। इस अवसर पर कार्यशाला में उपस्थित माननीय मुख्य न्यायाधीश एवं दंडाधिकारी भभुआं कैमूर राधेश्याम शुक्ल के द्वारा बताया गया, कि व्यवसाय क्या है इसका महत्व क्या है यह समाज को किस हद तक सकारात्मक नजरिया प्रदान करता है। जैसे कोई भी व्यक्ति गैर इरादतन तरीके से अपराध कर जाता है, जिसका उसे पश्चाताप भी है। उसे समाज की मुख्य धारा में लाने का एक न्यायिक अवसर प्रदान करता है। साथ ही साथ उन्होंने बताया कि अगर विधि विवादित एक भी किशोर को सुधार मुख्य धारा में लाया जाए तो व्यवसाय की उद्देश्यों की पूर्ति होती है।एक सकारात्मक समाज के निर्माण में अहम भूमिका महत्वपूर्ण होती है। साथ ही 1 जुलाई 2024 से नए कानून भारतीय न्याय संहिता पर चर्चा करते हुए, सामुदायिक कार्य में व्यवसाय पदाधिकारी की बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया गया। कार्यशाला में उपस्थित उप विकास आयुक्त भभुआं कैमूर के द्वारा बताया गया, कि सामान्य अपराधी को जघन्य अपराधी बनने से रोकने में व्यवसाय पदाधिकारी की अहम भूमिका होती है। एवं बंदियों के कार्य अवधि में सुधार एवं कौशल प्रशिक्षण पर ज्यादा प्रयास करने की बात की गई। साथ ही साथ उन्होंने व्यवसाय अधिनियम को ग्राम पंचायत तक पहुंचाने में, जिला प्रशासन के सहयोग का पूर्ण आश्वाशन दिया। इस व्यवसाय माह के कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए माननीय न्यायाधीश जिला एवं सत्र न्यायाधीश के द्वारा व्यवसाय अधिनियम एक्ट के  विधिक प्रावधानों को जन सामान्य तक पहुंचाने हेतु, इन्होंने महात्मा गांधी के उसे चर्चित कथन का उल्लेख किया गया। अपराध से घृणा करो अपराधी से नहीं।जो बंदी जेल निरुद्ध के पश्चात समाज में वापस आते हैं, तो वैसे बंदियों में अपराध करने की प्रकृति में कोई विशेष बदलाव देखने को नहीं मिलता है, जो समाज के लिए चिंता का विषय है।व्यवसाय अधिनियम एक्ट का लक्ष्य सुधारात्मक दृष्टिकोण पर आधारित है। उदाहरण के लिए उन्होंने बताया कि संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 60% अपराधियों को व्यवसाय का लाभ दिया जाता है। व्यवसाय एक्ट के प्रभावित क्रियान्वयन हेतु न्यायिक पदाधिकारी एवं व्यवसाय अधिकारियों के सहयोग एवं समन्वय की बात कही गई। साथ ही साथ बंदियों के पुनर्वास में व्यवसाय की बढ़ती महत्व को उजागर किया गया। कार्यशाला के समापन पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत मनोज कुमार सौमित्र की पुस्तक का भी विमोचन माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश के कर कमल के द्वारा किया गया। साथ ही साथ इन्होंने अपनी काव्य पाठ की प्रस्तुत की, इसी क्रम में जेल अधीक्षक संदीप कुमार के द्वारा भी एक गीत तुम हम जानो ना हम तुम्हें जान की प्रस्तुतीकरण किया गया। कार्यशाला का समापन उप विकास आयुक्त भभुआं कैमूर के द्वारा पल-पल दिल के पास गीत गाकर किया गया।

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