तथाकथित दलित असंवैधानिक गुंडों का तांडव आवागमन हुआ बाधित, घंटों जाम में फंसे स्कूली बच्चे व मरीज

संविधान की आड़ में असंवैधानिक नीतियों के तहत, अपने ही भाइयों के हिस्से खाने के लिए तथाकथित अंबेडकर भक्तों की साजिश, परिप्रेक्ष्य में राष्ट्र गर्त की ओर अग्रसर

कैमूर- जिला ब्यूरो चीफ की जलती कलम से- जिला सहित प्रदेश व देश में तथाकथित दलित, असंवैधानिक गुंडों की तांडव जगह जगह राज्य स्तरीय मार्ग सहित राष्ट्रीय राजमार्ग का भी आवागमन हुआ बाधित, घंटों जाम में फंसे रहे स्कूली बच्चे व जिंदगी की इंतजार में एंबुलेंस के मरीज। आपको बताते चलें की देश के सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के विरुद्ध जिला सहित प्रदेश व देश में जगह-जगह तथाकथित अंबेडकर भक्तों द्वारा अपने ही भाइयों की हिस्सा साजिश के तहत डकारने हेतु बुधवार को किया गया महा तांडव।फैसले के दौरान हुई बहस में अदालत ने एससी-एसटी में क्रीमी लेयर की आवश्यकता पर जोर दिया था। कई जजों ने न्यायालय में अनुसूचित जातियों के भीतर 'क्रीमी लेयर' को अनुसूचित जाति श्रेणियों के लिए निर्धारित आरक्षण लाभों से बाहर रखने पर राय रखी थी।

सरकार की ओर से क्षेत्र स्थित संवैधानिक शासनिक अधिकारी समर्थन में प्रशासन असमर्थ मानवता हुआ शर्मसार

वर्तमान में, यह व्यवस्था अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण पर लागू होती है। पहले आपको हम बता देना चाहते हैं कि भारत में आरक्षण क्या है। एक अयोग्य को जाति के आधार पर योग्यता को कुचलते हुए किसी पद पर आसक्त कर देना ही आरक्षण है। देश जब स्वतंत्र हुआ उस वक्त कुछ पिछले समाज को आगे लाने के लिए भीमराव अंबेडकर के द्वारा सिर्फ 10 वर्षों के लिए अपने जाति विशेष का पक्ष रखते हुए जाति के आधार पर  छूट का प्रावधान देने का अनुमोदन किया गया था। जिसका लाभ उठाते हुए सत्ता की मलाई चाटने के चक्कर में राजनीतिक पार्टियों द्वारा अभी तक बरकरार रखा गया है, और दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी किया जा रहा है।पर देखा जाए तो 57 वर्ष गुजरने के बावजूद भी जिनके लिए यह दिया गया था उसमें से मात्र 20 प्रतिशत लोग ही आगे बढ़े और वही 20% लोग लगातार लाभ ले रहे हैं। जो वंचित है उन्हें लाभ देने के लिए देश के सर्वोच्च न्यायालय के कई जजो की बेंच ने अनुसूचित जाति जनजातियों के भीतर क्रीमी लेयर (उनमें से समृद्ध) को आरक्षण की प्रक्रिया से बाहर रखने पर अपनी राय रखा था। जिसके विरुद्ध जो लगातार आरक्षण की मलाई खाते आ रहे हैं (अपने ही वर्ग के अपने भाइयों का हिस्सा) सदैव खाते रहने के लिए, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के विरुद्ध 21 अगस्त दिन बुधवार को देश में जमकर तांडव किये।

तथाकथित दलितों के आवाहन पर जब भारत बंद नहीं हुआ तो गुंडागर्दी करते हुए जबरदस्ती बंद कराने की किए कोशिश

कहने को तो वह भीमराव अंबेडकर को अपना आदर्श बताते हैं, संविधान की रक्षा की बात करते हैं। पर सच में देखा जाए तो हराम की खाने के चक्कर में यही लोग डॉक्टर भीमराव के नाम पर कालिख पोत रहे हैं और संविधान की बलात्कार कर हत्या करने की कोशिश में जुटे हैं। जहां लाभ लेना हो वहां जय भीम जय भीम, व जह संविधान जय संविधान करते हैं पर जब देखते हैं कि हमें हराम की नहीं मिलने वाला है वहां भीमराव का आदर्श व संविधान की बलात्कार करने में पीछे नहीं हटते हैं। संवैधानिक यह ऐसे गुंडे हैं जिनके विरुद्ध अन्य जाति के उच्च अधिकारी भी बोलने से कतराते हैं। ऐसे ही स्थिति बुधवार को कैमूर जिला के कुदरा नगर पंचायत क्षेत्र अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग दो भभुआं मोड़ के समीप देखने को मिला। तथाकथित दलित प्रदर्शनकारियों के द्वारा लगभग तीन घंटों तक जमकर तांडव करते हुए आवागमन को पूर्ण रूप से रोक दिया गया। जिसमें की लगभग आधा दर्जन से अधिक बच्चों से भरी स्कूली गाड़ियों सहित मरीज को लिए हुए कई एंबुलेंस स्थल से नहीं निकल पाया। जाम में फंसी स्कूली गाड़ियों के बच्चे गर्मी से बेहाल रहें, एंबुलेंस में मौजूद मरीजों के परिजनों में भी भय व्याप्त रहा।

प्रदर्शनकारियों द्वारा निजी गाड़ियों पर जबरदस्ती लगाया गया अपना बैनर। स्थल पर मौजूद सरकार की ओर से क्षेत्र स्थित स्थानीय शासनिक अधिकारी भी प्रदर्शनकारियों के पक्षधर दिखी। प्रशासन सक्रिय रहा पर शासनिक अधिकारी के क्रियाकलापों की वजह से मानवता को शर्मसार होने से रोकने में असमर्थ दिखा। संदर्भ में स्थल पर उपस्थित अंचलाधिकारी कुदरा अंकिता कुमारी से जब पूछा गया कि इतने समय से आवागमन बाधित है, स्कूल के छोटे-छोटे बच्चे गाड़ियों में गर्मियों का सामना कर रहे हैं एंबुलेंस के मरीज जिंदगी से जूझ रहे हैं इसका जिमवर कौन होगा, तो उनके द्वारा किसी भी तरह का विश्वास जनक जवाब नहीं दिया गया।

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