अधिकारियों की माहिती बाजों से मिलीभगत से प्रशासन में दायर हो रही फर्जी शिकायतें !

छुट्टी के दिन भी विभागों में ऐसे माहिती बाजों का दबदबा व  आवाजाही


भिवंडी। भिवंडी-निजामपुर शहर महानगरपालिका प्रशासन में भ्रष्टाचार को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पालिका के कुछ अधिकारी और कर्मचारियों ने तथाकथित माहिती बाजों के साथ मिलकर एक ऐसा नेटवर्क खड़ा कर लिया है जो पैसे देकर शिकायतें दर्ज करवा रहे है और योजनाबद्ध तरीके से लोगों को परेशान किया जाता है।बताया जा रहा है कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा मांगी गई रिश्वत रकम नहीं दी जाती तो उसके खिलाफ जानबूझकर शिकायत दर्ज करवा दी जाती है। पालिका के कर, आरोग्य, स्वच्छता, बांधकाम, उद्यान, मार्केट, परवाना, भविष्य निधि, जन्म-मृत्यु नोंदणी, वैद्यकिय, अस्थापना, पर्यावरण,शिक्षण विभाग जैसे तमाम विभागों में यह गतिविधियां खुलकर सामने आ रही हैं।

सूत्रों के मुताबिक, कुछ ऐसे लोग वर्किंग डे के अलावा छुट्टी के दिन भी पालिका विभागों में घूमते दिखाई देते हैं। कई बार ये लोग कर्मचारियों की कुर्सियों पर बैठकर काम में हस्तक्षेप करते है। शहर में चर्चा है कि पालिका के कुछ विभागों में इन माहिती बाजों के लिए नाश्ता और चाय की नियमित व्यवस्था होती है। इसके अलावा हर सप्ताह दो सौ से लेकर पांच सौ रुपये तक की फिक्स रकम इन्हें दी जाती है। यह सब कुछ अधिकारियों की जानकारी में होते हुए भी अनदेखा किया जा रहा है। जानकारी यह भी मिली है कि यही अधिकारी कुछ शिकायतों को जानबूझकर रोके रखते हैं, जबकि जिन मामलों से इन्हें सीधा लाभ होता है, उन पर त्वरित कार्रवाई करवाई जाती है। इमारतों को जर्जर घोषित करने की नोटिस, मरम्मत परमीशन और अवैध बांधकाम को संरक्षण देने जैसे मामलों में भी घोटालों की आशंका जताई जा रही है। शहर वासियों को उम्मीद थी कि अफसर राज में पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत नजर आ रही है। प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं क्योंकि एक-एक कर्मचारी को दो से तीन विभागों का अतिरिक्त प्रभार सौंपा  गया है। इससे विभागीय कामकाज प्रभावित हो रहा है और प्रभारी अधिकारी मनमाने ढंग से काम कर रहे हैं। समाज सेवी गनी खान के अनुसार इन परिस्थितियों में यह देखना अहम होगा कि महानगरपालिका प्रशासन इस गंभीर स्थिति पर क्या कदम उठाता है। शहर में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर नागरिकों की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है।

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