भिवंडी में ज़हरीले धुएँ का कहर: नालापार क्षेत्र के नागरिकों का जीना हुआ दुश्वार

पर्यावरण विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल, निजी कर्मचारी का दखल बढ़ा चिंता का विषय


भिवंडी। भिवंडी शहर के नालापार, आज़मी नगर, देव नगर जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में रहने वाले नागरिक इन दिनों गंभीर प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं। क्षेत्र में स्थित तीन साइजिंग कंपनियां सना साईजिग, मोनू लाल मोहम्मद की साईजिंग,अलंकार साइजिग , युनिटी साईजिंग की चिमनियों से लगातार उठता काला जहरीला धुआं लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, आंखों में जलन, सांस की दिक्कत और बच्चों में एलर्जी जैसी बीमारियों में तेजी से वृद्धि हो रही है। इस गंभीर मुद्दे पर नगर पालिका का पर्यावरण विभाग पूरी तरह से मौन है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस विभाग में एक निजी कर्मचारी संजय केणे का अनुचित प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।जबकि संजय केणे का पर्यावरण विभाग से कोई औपचारिक संबंध नहीं है, फिर भी वह विभागीय कार्यों में हस्तक्षेप करता देखा जा रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, संजय केणे की नियुक्ति केवल प्रदूषण मापन हेतु लगाई गई मशीनों पर लैब कार्य के लिए हुई थी, किंतु अब वह पालिका के पर्यावरण विभाग में वसूली एजेंट की भूमिका में कार्यरत है।विभाग प्रमुख कोई भी हो, साइजिंग और डाइंग कंपनियों से संबंधित निर्णयों में अंतिम प्रभाव संजय केणे का ही देखा जाता है।स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा कई बार पालिका और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (कल्याण विभाग) को शिकायतें दर्ज कराई गई हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। रिपोर्ट तैयार करने और उसे भेजने के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई जाती है, जबकि कंपनियों से अवैध वसूली का खेल चलता रहता है।

शहर में इन दिनों एक नया रुझान देखने को मिल रहा है – कचरा बिक्री माफिया का उदय। लकड़ी, रबर, प्लास्टिक, पुराने जूते-चप्पल जैसे कचरे को कम कीमतों पर साइजिंग कंपनियों को बेचा जा रहा है। ये कंपनियाँ इस कचरे को जलाकर भाप (स्टीम) तैयार करती हैं, जिससे जहरीला धुआं निकलता है। परिणामस्वरूप, इन चिमनियों से लगातार प्रदूषण फैलता है और नागरिकों का स्वास्थ्य दांव पर लग जाता है। शहर के पर्यावरणविदों और नागरिक समूहों ने प्रशासन से मांग की है कि इन कंपनियों की गतिविधियों की निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई की जाए। निजी व्यक्ति संजय केणे की भूमिका की जांच हो और उचित कार्रवाई की जाए। प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों का लाइसेंस नवीनीकरण रोका जाए जब तक वे पर्यावरण मानकों का पालन न करें। प्रदूषण स्तर मापने वाली मशीनों की निगरानी किसी स्वतंत्र एजेंसी से करवाई जाए और पुराने नियुक्त कर्मचारियों का हस्तांतरण कर नये कर्मचारियों की नियुक्ति की जाये और उनका पालिका के पर्यावरण विभाग से कोई संबंध ना हो।

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