रोशनी की उम्मीद थी, जिंदगी में ही अंधेरा छा गया

वाराणसी । बनारस के मारवाड़ी अस्पताल में आंखों में रोशनी की उम्मीद लेकर आए छह लोग गहरे सदमे में हैं। गलत ढंग से ऑपरेशन के कारण आंखों की रोशनी जाने से किसी को घर चलाने की चिंता सता रही है तो और किसी को फिक्र है कि अब तो उसकी पूरी जिंदगी ही अंधेरे में गुम हो जाएगी।चंदौली निवसी त्रिवेणी ऑटो चलाकर अपने पांच बच्चों और पत्नी की परवरिश करते हैं। उनकी बड़ी चिंता बच्चों की शिक्षा और लालन-पालन की है। आंखों में कुछ समय से दिक्कत हो रही थी। हमने यहां दिखाया। डॉक्टर ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन करने को बोला।12 को जब ऑपरेशन के बाद पट्टी खुली तो आंखों के आगे अंधेरा ही अंधेरा था। डॉक्टरों ने आश्वासन दिया था कि 24 घंटे में सही हो जाएगा लेकिन 72 घंटे बीत चुके हैं। अब तो कुछ भी दिखाई ही नहीं दे रहा है।बिहार के बक्सर जिले के यज्ञ नारायण ने बताया कि हमने यहां इसलिए आंख बनवाने की सोची थी कि यहां कुछ भगवान तो कुछ धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों की कृपा होगी। ऑपरेशन के बाद तो बस अंधेरा ही अंधेरा छा गया है।वहीं मिर्जापुर की पार्वती देवी, जौनपुर की वंदना, नवाबगंज की अख्तरी बेगम और कोनिया की मालती देवी के परिजनों के आंखों के आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। सभी का कहना था कि डॉक्टर की लापरवाही के कारण यह घटना हुई है।

रिपोर्टर

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