
यूरोपीय अनुसंधान एवं विकास से समर्थन प्राप्त ट्रांसएशिया बायोमेडिकल्स की हिमैटोलॉजी रेंज अब उत्तर प्रदेश में उपलब्ध
- Hindi Samaachar
- Apr 21, 2019
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वित्त वर्ष 2019-20 में भारतीय बाजार में हिमैटोलॉजी से 300 करोड़ रुपये के राजस्व पर नजर
लखनऊ ।। भारत की नंबर 1 इन-विट्रो डायग्नोस्टिक (आइवीडी) कंपनी, ट्रांसएशिया बायो-मेडिकल्स लिमिटेड और उभरते बाजारों पर केंद्रित अग्रणी वैश्विक कंपनियों में से एक, ने आज अपनी 40वीं वर्षगांठ के उपलक्ष पर घोषणा की है कि इसकी अंतर्राष्ट्रीय हिमैटोलॉजी रेंज अब उत्तनर प्रदेश में उपलब्ध है। 3-पार्ट डिफरेंशियल एनालाइजर (थ्रीपीडीए) से लेकर 5-पार्ट डिफरेंशियल एनालाइजर (5पीडीए), पूरी तरह से ऑटोमेटेड हिमैटोलॉजी एनालाइजर, रीएजेंट्स और कंट्रोल्स यूरोपीय आरएंडडी द्वारा समर्थित हैं। ये उपकरण कई आधुनिक फीचर्स से लैस हैं, जिससे संस्थानों, क्लिनिशयंस और लैब टेक्नोलॉजिस्ट्स को सही डायग्नोसिस करने में मदद मिलेगी। एच 360, एच 560 और इलीट 580 हिमैटोलॉजी एनालाइजर का उत्पादन इरबा लैचीमा ने किया है, जो ट्रांसएशिया की 100 फीसदी स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है। यूरोप और दुनिया के अन्य हिस्सों में इनका व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है। मरीजों में बीमारी का पता लगाने और उसकी निगरानी के लिए रक्त कोशिकाओं को गिनने और उनके प्रकार का पता लगाने के लिए हिमैटोलॉजी एनालाइजर का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। तीन भागों में अलग-अलग श्वेत रक्त कोशिकाओं (डब्ल्यूबीसी) की गिनती से बेसिक एनालाइजर संपूर्ण रक्त कोशिकाओं (सीबीसी) की गणना करते हैं। आधुनिक तकनीक से बनाए एनालाइजर कोशिका के आकृति विज्ञान को मापते है और छोटी कोशिकाओं की आबादी का पता लगाकर रक्त से जुड़े दुर्लभ और आसानी से पकड़ में न आने वाली बीमारियों का पता लगा सकते हैं।
रक्त की जांच के ये नए उपकरण नियमित मानकों के अलावा पी-एलसीआर, पी-एलसीसी जैसे अतिरिक्त मानदंड भी मुहैया कराते हैं, जो बड़े और आम तौर पर मशहूर ‘जाएंट’ प्लेटलेट्स की गणना में सहायता करते हैं। ये मानक मरीजों की अलग अलग हालत में जांच के लिए लाभदायक हो सकते हंै, जैसे मरीजों में हाई प्लेटलेट्स की गणना के लिए थ्रॉम्बोसाइटोसिस और लो प्लेटलेट्स की गिनती के लिए थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया समेत कई उपकरण मौजूद है।
ये उपकरण लखनऊ के लिए विशेष रूप से कारगर है क्योंकि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पूर्वी उत्तर प्रदेश के बहुत से लोग इलाज कराने आते हैं। इन मरीजों के ब्लड सैंपल में बड़ी संख्या में बड़े प्लेपलेट्स पाए जाते हैं।
ट्रांसएशिया बायो-मेडिकल्स लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुरेश वाजिरानी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “पिछले दो-तीन सालों में लखनऊ में स्वास्थ्य रक्षा की सुविधाओं और आधारभूत ढांचे के विकास में काफी तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है। लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) और संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसजीपीजीआई) जैसे कुछ प्राचीन, प्रतिष्ठित और महत्वपूर्ण रूप से स्थापित मेडिकल इंस्टीूट्यूट्स के अलावा नवाबों के शहर में मेदांता मेडिसिटी जैसे कई बड़े कॉरपोरेट अस्पताल भी खुलने वाले हैं। इस तरह लखनऊ पूरी आबादी की स्वास्थ्य रक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए पसंदीदा हब बनता जा रहा है, जहां मरीजों को कई बीमारियों के इलाज की सुविधाओं के अलावा कई विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधाएं भी प्रदान की जाती हैं। लखनऊ में आसपास के क्षेत्रों में इलाज कराने कई मरीज आते हैं, जिन्हें अब अपने इलाज के लिए दिल्ली जाने की जरूरत नहीं रह गई है। ट्रांसएशिया के लिए यह सुनिश्चित करने का बड़ा अवसर है कि हमारे उपकरणों से जल्दी और सटीक जांच की जा सकती है।”
स्वास्थ्य रक्षा के विभिन्न पैमानों की गुणवत्ता और पहुंच के आधार पर बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के क्षेत्र में भारत का नंबर 176 देशों में 145वां है। भारत के छोटे शहरों और गांवों में रहने वाले 70 फीसदी लोगों को जब-तब यह दर्द महसूस होता है कि बेहतरीन मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर तक उनकी पहुंच काफी सीमित है। वहां प्रशिक्षित डॉक्टर नर्स और अन्य स्टाफ के अलावा आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं भी नहीं हैं। ट्रांसएशिया स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए स्वदेशी विकास और तकनीक अपनाने पर जोर दे रहा है, जिसके तहत घरेलू स्तर पर मेडिकल उपकरणों के निर्माण के माध्यम से मरीजों की जांच पर होने वाले खर्च में कमी ला जा सके और उन्हें सस्ती जांच की सुविधा मुहैया कराई जा सके।
ब्रिटेन के इरबा ग्रुप के ग्लोबल प्रॉडक्ट मैनेजर डॉक्टर दिमित्रिस जायंटजोडियस ने नई लॉन्च की गई रेंज के बारे में कहा, “हिमैटोलॉजी की इरबा रेंज को अपनी गुणवत्ता, सटीकता एवं प्रयोग में आसानी के लिए दुनिया भर में अपनाया गया है। यह भारतीय डायग्नोस्टिक्स लैब्स में भी ऑटोमेटेड हिमैटोलॉजी परीक्षण को अपनाने में वृद्धि करेगी।”
ट्रांसएशिया में बायोकेमिस्ट्री विभाग की यूनिट हेड और एमडी डॉ. प्रीत कौर ने कहा, “मरीजों की आमतौर पर और किसी खास बीमारी के क्लीनिकल परीक्षण के लिए यह रेंज संपूर्ण समाधान उपलब्ध कराती है, जिससे बच्चों और बुजुर्ग मरीजों के इलाज में अतिरिक्त लाभ मिल सकता है। अन्य बेमिसाल विशेषताओं में असामान्य नमूनों की पहचान, आरएएफआइडी, बड़ी एलसीडी टच स्क्रीन, कस्टमाइज करने योग्य रिपोर्टिंग फॉर्मेट, रिजल्ट आउटपुट के लिए लैबोरेटरी इंफॉर्मेशन सिस्टम (एलआईएस) से जुड़ने की क्षमता और साइनाइड मुक्त और पर्यावरण हितैषी रिएजेंट्स शामिल हैं। डाग्नोस्टिक लैब और पैथोलॉजिस्ट की ओर से झेली जा रही तमाम चुनौतियों का समाधान पेश कर, ट्रांसएशिया हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स (एचसीपी) को मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य रक्षा की सुविधाएं मुहैया कराने पर अपना ध्यान केंद्रित करने में मदद कर रही है।“
सुरेश वाजिरानी ने कहा, “2018 में इंडस्ट्री की रिपोर्ट के अनुसार भारत में मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री 5.2 बिलियन डॉलर (35,097.49 करोड़ की है), जिसमें से ज्यादातर उत्पादों को आयात किया गया है। भारत में ट्रांसएशिया जैसे दिग्गज खिलाड़ी इस माहौल को बदलने के लिए अग्रिम मोर्चे पर तैनात हैं और मेक इन इंडिया को आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं।”
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