साहब लॉकअप से बाहर निकाल दो मर जाऊंगा

परिजनों ने लगाया पुलिस पर मारपीट का आरोप 

पुलिस ने आरोपो को नकारा ? कौन सच्चा कौन झूठा

भदोही । गोपीगंज थाने के लॉकअप में शुक्रवार को फूलबाग निवासी 46 वर्षीय ऑटो चालक रामजी मिश्र की मौत हो गई। बेटी दीपाली मिश्रा ने पुलिस पर बुरी तरह पिटाई का आरोप लगाया है। भाई से विवाद के बाद पुलिस ऑटो चालक को पकड़कर थाने लाई थी। वहीं, पुलिस ने पिटाई से इनकार किया है।

गोपीगंज के फूलबाग निवासी रामजी मिश्रा का उनके भाई अशोक मिश्रा से मकान बंटवारे को लेकर विवाद चला आ रहा है। इसी बात को लेकर दोनों भाइयों में शुक्रवार को कहासुनी हुई। सूचना पर पहुंची पुलिस दोनों को थाने लाई। पीछे-पीछे रामजी मिश्रा की पत्नी व बेटी भी थाने पहुंच गईं। दीपाली के अनुसार थाने में भी दोनों भाइयों में कहासुनी हुई तो पुलिस ने पिटाई करते हुए लॉकअप में बंद कर दिया। पुलिस की पिटाई से रामजी की हालत गंभीर हो गई। आरोप है कि लाकअप में ही उसकी मौत हो गई। शव लेकर पुलिस सीएचसी भागी। यहां बवाल न बढ़े इसलिए पुलिस शव को जिला अस्पताल ले आई।  वहीं, पुलिस अधीक्षक सचिंद्र पटेल का कहना है कि परिजनों के आरोप के बाद मामले की जांच सीओ ज्ञानपुर से कराई जा रही है। तत्काल पोस्टमार्टम भी कराया गया। मौत का कारण हृदय गति रुकना बताया जा रहा है। दोनों भाइयों में संपत्ति को लेकर विवाद था। पुलिस उन्हें थाने नहीं लाई बल्कि दोनों का परिवार खुद आया था। 

थाने के लाकअप में मारे गए ऑटो चालक रामजी मिश्रा का पोस्टमार्टम के बाद शव लेकर पुलिस पहुंची तो परिजनों ने आरोपितों पर सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए अंतिम संस्कार से इनकार कर दिया। इसके बाद पुलिस के हाथ पांव फूल गए। देर रात तक पुलिस व मोहल्ले के संभ्रांतजन परिजनों को मनाने में जुटे रहे। ऑटो चालक के आवास पर भारी भीड़ लगी रही। पड़ोसी, रिश्तेदारों या किसी की भी बात पत्नी व बेटियां मानने को तैयार नहीं थीं।सगे भाइयों के मामूली विवाद में शुक्रवार को पुलिस ने थाने में न सिर्फ ऑटो चालक को पीटा बल्कि लॉकअप में भी बंद कर दिया। परिजनों ने बताया कि हवालात में डालने के बाद रामजी की तबियत खराब हो गई। जिसके बाद वह जोर जोर से चिल्लाने लगे कि साहब बाहर निकाल दो वरना मर जाऊंगा। लेकिन किसी ने नहीं सुना। समय रहते पुलिस ने संजीदगी का परिचय दिया होता तो शायद आज एक परिवार अनाथ होने से बच जाता। साथ ही बदनूमा दाग भी न लगता। लॉकअप में आटो चालक रामजी मिश्र की मौत के बाद गोपीगंज थाने में तैनात सभी पुलिस कर्मियों के हाथ पांवफूल गए। खुद की गर्दन फंसती देख उन्हें कुछ सूझ ही नहीं रहा था। पत्नी, बेटी मारने का आरोप मढ़ते रहे। इसी बीच, विवाद करने के आरोपित मृतक के भाई से ही पुलिस ने लॉकअप में मौत न होने की बात लिखवा ली। लोगों का कहना था कि पुलिस ने खुद को बचाने के लिए ऐसा किया।पैतृक सम्पत्ति के विवाद को लेकर रामजी व अशोक मिश्र में भले ही विवाद काफी दिनों से चला आ रहा था। लेकिन शुक्रवार को जब गोपीगंज थाने में पुलिस के जवान रामजी को मारने लगे तो अशोक ने उन्हें रोका। कहा कि, भाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं। ऐसे में उनके साथ ऐसा कुछ भी न किया जाए, जिससे दिक्कतें हो सकती हैं। लेकिन वर्दी के रौब में चूर जवानों को उसकी आवाज सुनाई ही नहीं पड़ रही थी। परिणाम मुखिया की मौत के बाद एक परिवार अनाथ हो गया। 

अमूमन पुलिस किसी भी मामले में आरोपितों को तभी हवालात में डालती है, जब उसके खिलाफ कोई लिखित शिकायत हो। भाइयों में कहासुनी हुई, उसके बाद उन्हें थाने लाया गया। बिना मुकदमा अथवा एनसीआर दर्ज किए ही दोनों भाईयों को हवालात में क्यों डाला गया, इसकी चर्चा रही। पुलिस की जल्दबाजी उसे शुक्रवार को महंगी पड़ गई। आला अधिकारियों की मामले पर पैनी नजर है। 

रिपोर्टर

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