लोगों ने पितृपक्ष में पूर्वजों को प्रेतयोनि से मुक्ति की कामना की

अश्वनी कुमार उपाध्याय संवाददाता सुल्तानपुर

सुल्तानपुर ।। देश के विभिन्न प्रांतों से गयाधाम पहुंचे पिंडदानी शनिवार को गया शहर से आठ किलोमीटर दूर प्रेतशिला पहुंचे। आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि को लेकर तीर्थयात्रियों ने प्रेतशिला श्राद्ध किया। पहाड़ की तलहट्टी में स्थित ब्रह्मकुंड में कर्मकांड करने के बाद पिंड लेकर प्रेतशिला वेदी के लिए निकले। 

पहाड़ की 676 सीढ़ियां चढ़कर चोटी पर स्थित प्रेतशिला पर कर्मकांड कर पितरों को प्रेतयोनि से मुक्ति दिलायी। पहाड़ पर स्थित ब्रह्मचरण पर पिंडवेदी अर्पित करने के बाद प्रेतशिला/धर्मशिला पर सत्तू उड़ाकर  पूर्वजों को प्रेतयोनि से मुक्ति की कामना की। त्रिपाक्षिक गयाश्राद्ध करने वालों के अलावा प्रेतशिला इलाके में एक, तीन और सात दिनी पिंडदान करने वाले तीर्थयात्रियों की थोड़ी भीड़ रही। सुबह पूर्णिमा होने के कारण कुछ पिंडदानियों ने फल्गु में तर्पण व पिंडदान के बाद प्रेतशिला पहुंचे। आश्विन कृष्ण पक्ष द्वितीया यानी रविवार को पिंडदानी पंचतीर्थ श्राद्ध के अंतर्गत उत्तर मानस, कनखल, दक्षिणमानस, जिह्वालोल व गदाधर वेदियों पर श्राद्धकर्म करेंगे। कर्मकांड के मंत्रों से गूंजी प्रेतशिला की वादियां 

सुबह से पिंडदानियों का जत्था प्रेतशिला पहुंचा और गयाश्राद्ध में जुट गया। 9 बजे के बाद ब्रह्मकुंड के आसपास का इलाका पिंडदानियों से पट गया। पिंडदान शुरू होते ही कर्मकांड के मंत्रों से प्रेतशिला की वादियां गूजने लगीं। नीचे से लेकर प्रेतशिला पहाड़ तक पिंडदानियों की आवाजाही लगी रही। किसी ने पालकी तो अधिकतर पिंडदानियों ने पैदल ही प्रेतशिला पर्वत की दूरी तय की। प्रेतशिला के अलावा एक दिन, तीन और पांच दिन का गयाश्राद्ध करने वालों की भीड़ विष्णुपद मंदिर, फल्गु, सीताकुंड, अक्षयवट आदि पिंडवेदियों पर दिखी। फल्गु नदी के साथ-साथ देवघाट, गजाधर व संगत घाटपर पिंडदानी कर्मकांड करते नजर आए। 

ब्रह्मकुंड में पिंडदान के बाद चढ़ गए प्रेतशिला पहाड़ी 
प्रेतशिला में सबसे पहले नीचे स्थित ब्रह्मकुंड पिंडवेदी पर तीर्थयात्रियों ने पिंडदान किया। ब्रह्मकुंड के चारों ओर, पास की खाली जमीन के साथ धर्मशाला में पिंडदानी खचाखच भरे नजर आए। जहां खाली जगह मिली तीर्थयात्री वहीं बैठकर गयाश्राद्ध किया।  ब्रह्मकुंड में श्राद्धकर्म के बाद तीर्थयात्री प्रेतशिला पर्वत की ओर रवाना हुए। अधिकतर तीर्थयात्री 676 सीढ़ियां ऊपर चढ़कर वहां स्थित सुवर्ण रेखांकित शिला का दर्शनकर पितरों की मोक्ष की कामना की। इसके बाद प्रेतयोनि में भटक रहे अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए तिल मिश्रित सत्तू उड़ाया। कुछ वृद्ध, लाचार और खासकर महिलाएं जो पर्वत पर चढ़ने में अक्षम रहीं, उन्होंने खटोले (डोली) का सहारा लिया। 

रामकुंड, रामशिला व कागबलि पर किया पिंडदान 
प्रेतशिला व ब्रह्मकुंड वेदी के बाद तीर्थयात्रियों ने गया-पटना रोड पर पंचायती अखाड़ा इलाके में स्थित रामकुंड, रामशिला और कागबलि पर पिंडदान किया। इन वेदियों पर भी पिंडदानियों ने श्राद्धकर्म कर पूर्वजों के लिए ब्रह्मलोक की कामना की। दोनों स्थानों दोपहर तक चहल-पहल रही। 

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