हाँ लछिमन तुम्हारा नहि दोषा,सो फल पायेहुंं कीन्हेउ रोषा।श्रीनवकुंडीय शतचंडी महायज्ञ कथा सप्ताह!

पालघर ।।  समय चक्र कालनेमि,  दोलायमान चित्त ही शुंभ निशुंभ है।आहार विहार उचित मात्रा में होना चाहिए।संचित कर्म ही पूर्वचित्त अप्सरा है जो सत्कर्म में बाधा उत्पन्न करती है। अभिमान ही महिषासुर है।आपसी बैर ही धोखा कराता है। राग द्वैष मधु कैटभ है।
श्रीमददेवी भागवत कथा सप्ताह पंचम दिवस
     औद्योगिक शहर बोईसर (प.)आजाद नगर श्रीबड़ी दुर्गामहरानी चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से श्रीबड़ी दुर्गामहरानी जी के 3रें स्थापना दिवस के पूर्व चल रहे श्रीमददेवी भागवत कथा सप्ताह श्री नवकुंडीय  शतचंडी महायज्ञ सप्ताह के पंचम दिवस पर संध्या प्रबचन कर रहे डाँ.नरेंद्र नाथ व्यास जी महराज के मुखार विंद से आदिशक्ति देवीमाता के कथाओं को वर्णन करते हुए श्रोताओं से सीता प्रसंग के चर्चा करते कहा कि हाँ लछिमन तुम्हारा नहि दोषा,सोफल पायेहुं कीन्हेउ रोषा अर्थात अपने ही किये हुए कर्म का फल मिलता है।
अतिथियों का श्रीबड़ी दुर्गामहरानी ट्रस्ट की ओर से सत्कार
         कथा विश्राम आरती से पूर्व प्रमुख अतिथियों में जिलाकृषि सभापति अशोक वड़े,मेर्सस इंडो आँक्सीजन के महाव्यस्थापक डाँ.इंद्र तिवारी,उद्यमी बलबीर सिंह,उद्यमी शेषमणि ओझा, ट्रासपोर्ट उद्योग के प्रेम अग्रवाल,सामाजिक संस्था के देविदत्त पोखरिया, मीडिया कर्मी मृत्युंजय  पाण्डेय का स्वागतम ट्रस्ट के प्रमुखों जितेंद्र दुबे,
बी.पी.तिवारी,राम उजागर मोर्या, रोहित सिंह,निर्मोही यादव, हरेराम विश्वकर्मा, दिनेश यादव,सर्वजीत, शंकर राय,दीपु यादव,राकेश पाण्डेय, डी.एन.सिंह द्वारा की गयी।

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