लाॅक डाउन में जनता भूख से परेशान. डीलर की मनमानी को लेकर ग्रामीणों ने मोर्चा खोला

बिहार से ब्यूरो चीफ देवेन्द्र कुमार के साथ शक्ति प्रसाद शर्मा की रिपोर्ट

जमुई / झाझा ।। लाॅक डाउन में सबसे ज्यादा परेशानी झेल रहे लोग गरीब ही हैं जिसे देखने वाला कोई नहीं, लोग भूख से मर रहे हैं उसे कोई देखने वाला नहीं है, पैरगाहा गाँव के डीलर सुबोध रजक किसी भी ग्रामीण को अनाज नहीं दे रहा है, और जिसे दिया है कम ही दिया है ग्रामीणों में आक्रोश फैल रहा है, दो दिन पहले जिला पार्षद मनोज यादव भी इस गांव में आए और डीलर के विरुद्ध जनता की बात सुनी, उस दिन भी कई ग्रामीणों ने बताया डीलर सुबोध रजक उसे मारने की धमकी देता है, और अनाज भी सड़ा गला देता है वह भी कम, जहां 5kg अनाज मिलना चाहिए वहां पर 3 केजी किसी को 2 केजी मिल रहा है, बहुतों को तो दिया ही नहीं जा रहा है 2 केजी अनाज देकर 5 केजी का पैसा लिया जाता है सरकार 5kg अनाज मुफ्त देने की बात कही लेकिन डीलर नहीं दे रहा है, जनता भूख से परेशान है, आज अंचलाधिकारी अमित कुमार गुंजन पैरगाहा गांव पहुंचे, उनकी मुलाकात डीलर सुबोध रजक से हुई उन दोनों में क्या बात हुई यह कोई नहीं जानता, अंचलाधिकारी अमित कुमार गुंजन के साथ प्रशासन की टीम भी गांव में गई थी जहां पर ग्रामीणों के द्वारा प्रशासन की गाड़ी कुछ देर रोका भी गया, लॉक डाउन से जनता बहुत परेशान है लोगों को कहना है अगर लॉक डाउन नहीं होता तो हम लोग काम करके कुछ पैसे कमाकर अपना पेट भर लेते लेकिन अभी कमाने का रास्ता बंद है हम लोग भूखे मर रहे हैं सरकार बड़े-बड़े दावे करती है कभी इस गांव में आकर देखें जनता कैसे तड़प रही है डीलर की मनमानी लगभग सभी जगह है अभी देशभक्ति दिखाने का समय है और यहां पर देशद्रोहियों की लाइन लगी हुई है सभी लुटने के चक्कर में लगे हैं, अभी तक हमारी बात प्रखंड विकास पदाधिकारी धर्मवीर प्रभाकर से नहीं हुई, हम उनसे यह जरूर पूछना चाहेंगे इस भुखमरी में आम जनता कैसे जिंदा रहेगी, यहां पर लगभग 70 परसेंट लोगों के पास राशन कार्ड नहीं है उनका क्या होगा क्या वह भूखे मर जाएंगे, सोचने वाली बात है जिस देश में एक मूर्ति बनाने के लिए 400 करोड़ से लेकर 500 करोड़ रुपए तक खर्च किए जाते हैं उसी देश की जनता भूखे मर रही है, चुनाव आते ही सभी जनप्रतिनिधि अरबों रुपए अपना प्रचार प्रसार में खर्च करती है अगर वही जनप्रतिनिधि आज के समय अपना पैसा जनता के लिए खर्च करें, जनता का पेट भरने के लिए करें, तो क्या उसका प्रचार नहीं होगा सोचने वाली बात है जहां प्रचार के नाम पर अरबों रुपए उड़ा दिए जाते हैं आज इन भूखे लोगों को देखने वाला कोई नहीं है.

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