मरना ही है तो परिवार के पास जाकर मरेंगे, यह कह साइकिल पर झारखंड रवाना हुए मजदूर

भिवंडी।। जिस शहर में आकर अपने परिवार के उज्जवल भविष्य का सपना देख रहे थे.आज उसी शहर को भरे मन से छोडऩा पड़ रहा है.भले ही हालात ने ऐसा करने को मजबूर कर दिया हो लेकिन सरकार तथा प्रशासन द्वारा गरीबों को राशन मुहैया करवाने का दावा भी कम जिम्मेदार नहीं रहा हैं. शहर से जाते हुए इन दिहाड़ीदारों ने पेट की भूख तथा बेरोजगारी को प्रमुख कारण बताया.भिवंडी शहर के नायगाँव में रहने वाले 7 पावरलूम मजदूर का जत्था बुधवार देर रात साइकिल पर झारखंड राज्य स्थित डेलटन जिले के लिए रवाना हो गया.इस जत्था में गुफरान अंसारी, सदरे आलम, मोहम्मद जाहिर अंसारी, हसीब अंसारी, फिरदोस अंसारी आदि का समावेश हैं.1600 सौ किलोमीटर से ज्यादा का यह सफर वह 10 से 15 दिन में तय करेंगे। 

इस दौरान पावरलूम कारखाने में मजदूरी कर पेट भरने वाले गुफरान अंसारी ने भरे मन से कहते हैं कि इस माहौल में मरना ही है तो परिवार के पास जाकर मरेंगे.वह बताते हैं कि पिछले लंबे समय से वह नायगांव के स्थित पावरलूम कारखाने में काम करते हैं. लाॅक डाउन के कारण कारखाना ठप्प पड़ा हुआ हैं.गांव में भी परिवार भूखा हैं काम बंद होने के कारण उन्हे भी पैसा नहीं दें पाता. यहाँ पर खुद का पेट भरना ही मुश्किल हो चुका था.जिसके चलते उक्त फैसला लेना पड़ा है.इसी तरह झारखंड के  दूसरे मजदूर ने बताता कि पहले सरकार ने 14 अप्रैल व फिर 20 अप्रैल को राहत देने की घोषणा की थी.लेकिन अब यह राहत ना दिए जाने के चलते वह खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं. सरकार व प्रशासन द्वारा गरीबों को राशन मुहैया करवाने का दावा खोखला निकला है.ऐसे में भय के बीच भूखे पेट मौत दिखाई दे रही है.यही कारण है कि अपना बचा हुआ जीवन परिवार के साथ बिताने की इच्छा लेकर शहर से रवाना हो रहे हैं.

10 -15 दिन लगातार सफर करेंगे

07 सदस्यों में शामिल जाहिर अंसारी बताते हैं कि 2010 में भिवंडी आए थे.पावर लुम कारखाने में हमाली कर अपना तथा परिवार का पालन पोषण कर रहे थे. लेकिन काम धंधा बंद होने के बाद रोटी के भी लाले पड़ गए हैं.साइकिलों पर दिन-रात सफर तय करेंगे.रास्ते में खराबी आने पर हवा भरने वाला पंप व अन्य औजार साथ रखे हैं.बताते हैं कि 10 से 15 दिनों तक लगातार सफर तय करके अपने गंतव्य तक पहुंच जायेंगे हैं.

प्रशासनिक दावों पर सवालिया निशान

शुरुआत में विभिन्न संस्थाओं तथा प्रशासन द्वारा राशन मुहैया करवाने के बाद नियमों में सख्ती करने के चलते अब राशन वितरित करने वाली संस्थाएं कम हो गई हैं. उधर भिवंडी मनपा प्रशासन द्वारा भी लोगों को राशन मुहैया करवाने के तमाम दावों पर सवालिया निशान लग रहा है.जिसके तहत शहर के दिहाड़ीदार तथा मजदूर शहर से पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं ।

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