हमें बचाओ साहेब ! कसारा घाटी में फंसे चार प्रवासी मजदूर

1600 फुट गहरी घाटी से 8 घंटे के कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने निकाला

भिवंडी।। तालाबंदी के कारण शहर तथा ग्रामीण परिसर के उद्योग- धंधे , व्यवसाय- व्यापार, कंपनियाँ - गोदाम सब ठप्प पड़े हुए हैं.सरकार ने जनता कर्फ्यू के बाद 24 मार्च को 21 दिनों के लिए पूरे देश को तालाबंदी कर दिया था.किन्तु वैश्विक महामारी के दुष्प्रभाव का असर और बढ़ने के कारण पुन: 14 अप्रेल के बाद 19 दिनों के लिए तालाबंदी बढ़ा दिया हैं.जिसकी मुद्दत 3 मई तक हैं।
     
तालाबंदी के कारण कारखाने व गोदाम बंद हैं.जिसके कारण कंपनियाँ तथा गोदाम के मालिकों ने मजदूरों को काम पर से निकाल दिया गया हैं. गरीब व बेसहारा मजदूरों के सामने एक तरफ कोरोना हैं दूसरी तरफ पेट की ज्वाला.जाये तो जाये कहा। जिसके कारण शहर तथा ग्रामीण परिसर से पैदल ही अपने मूल गांव उत्तर प्रदेश , बिहार, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में जाने के लिए मजबूर हैं.ऐसी ही एक दर्दनाक घटना भिवंडी के मजदूरों के साथ कसारा घाटी में घटित हुई हैं.
       
मिली जानकारी के अनुसार भिवंडी के वडपा गांव स्थित गोदाम में काम करने वाले नरेंद्र चौधरी, भूपाल निसार, राजेश कोल और फूलचंद रावत को कंपनी व गोदाम प्रबंधक ने तालाबंदी होने के कारण गोदाम से बाहर निकाल दिया.वेघर हुए चार मजदूरों ने पैदल ही अपने गांव उत्तर प्रदेश जाने के लिए जंगलों के रास्ते निकल पड़े.क्योंकि पुलिस सड़कों पर पहरा देती हैं. जिसके कारण उन्हे रोक लिया जाता हैं.चारों मजदूरों ने मुंबई-नासिक राजमार्ग पर स्थित चिंतामनवाड़ी के पहाड़ की घाटी से गुज़रने का फैसला किया.क्योंकि लतीफ़वाड़ी और कसारा घाट पर पुलिस चौकियाँ हैं.जंगल के रास्ते लगभग 13 किलोमीटर पैदल चलने के बाद गुरुवार दोपहर 3 बजे उंट घाटी के जंगल में भटक गयें. 1600 सौ फुट गहरे घाटी में रात गुजारा करना मुश्किल था.काफी खोजबीन के बाद जाने का कोई रास्ता नहीं मिला.घना अंधेरा होने के साथ पूरी तरह जंगल भयानक दिख रहा था.सौभाग्य से इन मजदूरों के एक के पास मोबाइल फोन था.मजदूरों ने 100 नंबर डायलकर प्रशासन से मदत मांगी. पुलिस स्टेशन में रात 11 बजे बाद आई फोन की घंटी सबको चौका दी.कासरा पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी दत्तू भोये, पीएसआई महाले, खतीब, पुलिस कर्मियों और आपदा प्रबंधन टीम और शाहपुर व्हाट्सएप समूह के सदस्यों ने विभिन्न पहाड़ियों और क्षेत्रों की खोज करना शुरू कर दी.किन्तु कोई मजदूर नहीं मिल रहा था.उसके मोबाइल फोन को ट्रैक किया गया था और स्थान का पता लगाया गया.जिससे पता चला की उंट घाटी के घाटदेवी मंदिर के सामने एक टीले पर कुछ लोग फसे हैं मजदूरों द्वारा बार बार कहा जा रहा था कि साहेब हमे बचा लो.कसार घाट, घाटदेवी मंदिर के सामने एक पहाड़ी से घाटी में मोबाइल प्रकाश देखा गया उसके बाद आपदा प्रबंधन टीम के सदस्य रामदास राठौड़ और लक्ष्मण वाघ, सवरवाड़ी (कसारा खुर्द) से नीचे उतरे और कसारा घाट घाटदेवी मंदिर के कुछ ग्रामीण बचाव में आए.लगभग 8 घंटे के बाद, मजदूरों को 1600 फीट गहरी खाई में उतरने के बाद निकाला गया.और कसारा पुलिस को सौंप दिया गया।  आपदा प्रबंधन टीम के शाम धुमाल, दत्ता वाताडे, अक्षय राठौड़, प्रथमेश पुरोहित, रवि देहाडे, बबन जाधव, स्वप्निल कलंत्री, मयूर गुप्ता भारी संख्या में पुलिस बल उपस्थित था.

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट