भिवंडी का शासन प्रशासन फेल ? पैदल ही मजदूरों का जत्था रवाना

मजदूरों ने कहा-घर नहीं गए तो जिंदा नहीं रह पाएंगे

भिवंडी।‌। कपड़ा उद्योग की सबसे बड़ी महानगरी भिवंडी में मजदूरों का पलायन बदस्तूर जारी हैं.शासन प्रशासन इन्हें रोकने में पूरी तरह असमर्थ साबित हुआ हैं.लाॅक डाउन का तीसरा चरण लगते हुए मजदूरों के सामने पैदल ही गाँव जाने के आलावा दूसरा कोई विकल्प शेष बचा नहीं हैं.जिसके कारण गुरुवार पूरे दिन व रात मजदूरों को मुंबई-नासिक हाईवे पर सैंकड़ों मजदूर पैदल अपने घरों के लिए आगे बढ़ते हुए नजर आए.मजदूरों का कहना है कि उनकी सारी जमा-पूंजी खत्म हो गई है और शहर में कमाई के सभी अवसर समाप्त हो चुके हैं अगर वे अपने घर नहीं जाएंगे तो वे यहां जीवित नहीं रह पाएंगे.सरकार द्वारा स्पेशल ट्रेनों और बसों के शुरू होने के बावजूद प्रवासी मजदूरों का पलायन रुकने का नाम नहीं ले रहा है.43 दिनों के इस लॉकडाउन में इनके रोजगार छिन चुके हैं.कुछ मजदूरों ने कहा कि हमारे पास राशन खरीदने के लिए पैसा नहीं है.इस लॉकडाउन के दौरान हम कैसे बचेंगे ? हमारे पास अपने मूल गाँव जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है,जहां हम अपने परिवारों के साथ रह सकते हैं तथा कुछ समय के लिए जीवित रह सकते हैं.

कई प्रयास के बावजूद नहीं मिली कोई भी ट्रेन :

मुंबई-नासिक राजमार्ग पर ज्यादातर मजदूर पैदल हैं तो कुछ साइकिल, ऑटो रिक्शा, मोटरसाइकिल, मालवाहक ट्रकों से किसी तरह अपने मूल गांव पहुँचना चाहते हैं।

एक पावरलूम चलाने वाले प्रवासी मजदूर ने कहा कि वह जिस कारखाने में काम करता था उसी कारखाने में रहता भी था.लेकिन लॉकडाउन के बाद से उसके पास न तो कोई आदमनी का साधन है और न ही रहने के लिए कोई जगह. उसने कहा कि मेरे पास खाने के लिए भी पैसे नहीं हैं.अगर मैं अपने मूल गाँव नहीं जाता हूं. मैं यहां भूखा रहूंगा. हमने ट्रेन की यात्रा के लिए  आवेदन करने की कोशिश की. लेकिन पुलिस का कहना है कि कोई ट्रेन नहीं है.इसलिए 20 दिनों की पैदल यात्रा करने का फैसला किया।
पावरलूम में बेगारी का काम करने वाला युवक ने कहा कि,"हम हर दिन काम करके जीवित रहते हैं। हमें बिना पैसे या भोजन के छोड़ दिया गया है। शहर में जीवित रहने के लिए कठिन हो रहा है। मेरे पिता और मैं अपने गांव जा रहे हैं, जहां मेरी मां हमारी प्रतीक्षा कर रही है।" प्रवासी मजदूरों ने कहा कि वे चिलचिलाती गर्मी से बचने के लिए शाम, रात और सुबह के समय चलते हैं और दिन के दौरान छांव में शरण लेते हैं
      मजदूरों के पलायन पर कामगार नेता ग्यासूद्दीन अंसारी ने कहा कि भिवंडी का शासन व प्रशासन दोनों मजदूरों को रोकने में पूरी तरह असमर्थ साबित हुआ हैं. स्थानीय नगरसेवक भी छिप गये हैं. इन्ही मजदूरों के बल पर राजनीति करने वाले नेता भी शहर से नदारद हैं.आज इस संकट की घड़ी में मजदूरों के साथ कोई नहीं खड़ा हैं। शासन प्रशासन का दावा भी झूठा साबित हुआ हैं.सरकार रोज नये नये नियम बना रही हैं.इन्ही मजदूरों के कारण देश की अर्थव्यवस्था चलती हैं.नगरसेवक तथा कुछ सामाजिक संस्थाऐ इन्हें रोकने की कोशिश की. किन्तु लाॅक डाउन की मुद्दत लगातार बढ़ने के कारण वह भी अब पीछे खिसक गये हैं.भिवंडी मनपा प्रशासन केवल खिचड़ी खिलाकर इन मजदूरों को जिंदा रखना चाहता हैं। जिसके कारण मजदूर भुखमरी के डर से 1500 से 2000 किलोमीटर तक पैदल ही सफर करने के लिए निकल पड़े हैं.

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