
रुग्ण हुआ पट्टीनरेंद्रपुर का सरकारी अस्पताल
- Hindi Samaachar
- Aug 13, 2018
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उत्तर प्रदेश-जौनपुर
सुईथा ब्लाक के अंतर्गत आने वाले पट्टीनरेंद्रपुर स्थित सरकारी अस्पताल जब बनाया जा रहा था तो लोगों को यह आशा थी कि सरकारी अस्पताल खुलने से लोगों को बीमार होने की दशा में राहत मिलेगी और सरकार की तरफ से दवाएं मुफ्त मुहैया कराई जाएंगी लेकिन आज की परिस्थितियों में यह अस्पताल खुद ही मरीज बन गया है जिसे उपयुक्त उपचार की जरूरत है।
गौरतलब हो कि सरकारी अस्पताल में दूर दराज से लोग सुविधा पाने के लिए आते हैं लेकिन अस्पताल में आवश्यक सुविधाओं का आभाव है जिसका प्रमुख कारण प्रशासन की अनदेखी है। प्राथिमक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर मरीजों को आवश्यक दवाएं उपलब्ध ना होने से बाहर से दवाएं लेनी पड़ रही हैं वही अस्पताल के चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है। अस्पताल के उद्घाटन के समय नेताओं द्वारा बड़ी बड़ी बयानबाजियां तो हुई लेकिन हकीकत में उद्घाटन के बाद से ही इस अस्पताल को भुला दिया गया है। सांसद हो या विधायक या कोई स्थानीय प्रतिनिधि कोई भी इस अस्पताल की सुध लेने नही आता जिसके कारण आवश्यक सुविधाओं से यह अस्पताल वंचित है।
अस्पताल में सुरक्षा रक्षक के आभाव में यहाँ पर उपकरण व अस्पताल में लगे खिड़की दरवाजों को अराजक तत्वों द्वारा तोड़ दिया गया है। अस्पताल में एक तरफ तो दरवाजा है लेकिन दूसरी तरफ का दरवाजा टूटा हुआ है जिससे कुत्ते बिल्ली अस्पताल में मल विसर्जन कर रहे हैं सफाई कर्मचारी के आभाव में साफ सफाई भी बुरी तरह प्रभावित होती है। यही नही खिड़कियों में लगे शीशों को भी पत्थर द्वारा चकनाचूर कर दिया गया है।
उपस्थित डॉक्टर रवींद्र चौरसिया ने बताया कि "हमारे स्तर पर यह निरंतर प्रयास रहता है कि परिसर स्वच्छ रहे तथा मरीजों को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं"।
शाम होते ही शराबियों गंजेडियो का अड्डा बन जाता है अस्पताल
दिन डूबते ही अस्पताल परिसर शराबियों गंजेडियो का अड्डा बन जाता है तथा असामाजिक तत्व भी इस स्थान पर एकत्र होकर खूब नंगानाच मचाते हैं।
अस्पताल परिसर में झाड़ियों का अंबार
अस्पताल परिसर में झाड़ियों और घास का अंबार है जिससे मच्छर पनप रहे हैं और
अस्पताल परिसर में यह जंगली घास फूस भयानक दुर्गंध फैला रही है। सफाई कर्मियों के आभाव में निजी तौर पर साफ सफाई वालों को बुलाना पड़ता है लेकिन वह भी अपर्याप्त होता है। जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी नें शायद ही कभी यहां की स्थिति का जायजा लिया हो वरना यह अस्पताल आवश्यक सुविधाओं से वंचित नही होता। स्थानीय लोगों का कहना है कि नेता , जन प्रतिनिधि केवल चौराहे तक ही सीमित रहते है कभी सरकारी अस्पताल का रुख नही करते।अस्पताल के एक मरीज ने बताया कि एक दो प्रकार की दवाएं भले ही यहां मिल जाएं बाकी सब तो मेडिकल स्टोर से ही लेनी पड़ती हैं। गंभीर मरीजों के लिए बेड का भी आभाव है।
स्थानीय लोगों की प्रशासन एवं जन प्रतिनधियों से यह मांग है कि तत्काल इस विषय पर जागृत होकर स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए बनाए गए इस अस्पताल की दुर्दशा को गंभीरता से लेते हुए आवश्यक उपाय करें अन्यथा वह दिन दूर नही जब यह अस्पताल खंडहर के रूप में तब्दील हो जाएगा।
रिपोर्टर