
भिवंडी पंचायत समिति के सभापति चुनाव का पेंच फंसा
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Jul 01, 2020
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शिवसेना के कई सदस्य वरिष्ठ नेताऔं से नाराज़ ! शिवसेना-भाजपा गठबंधन की संभावना ?
भिवंडी।। कोरोना वायरस ने देश को ठप्प कर रखा हैं.ग्रामीण परिसर में वायरस ने कहर मचाकर रखा हैं। इस वायरस के चपेट में आने से अभी तक 16 लोगों की मृत्यु हो चुकी हैं.अब कोरोना का प्रसार हर जगह बढ़ रहा है। इसके बावजूद अब भिवंडी में चुनावी हलचल तेज हो गयी हैं।
राज्य शासन ने ठाणे जिला परिषद अध्यक्ष व पंचायत समिति सभापति का चुनाव करवाने की घोषणा कर दिया हैं। जो पंचायत समिति सभापति 5 जुलाई व जिला परिषद अध्यक्ष का चुुुनाव 15 जुलाई को होंगें।
खास बात यह है कि राज्य में शिवसेना और भाजपा ने एक-दूसरे के साथ साझेदारी कर लोक सभा चुनाव लड़ा था.जिसमें स्थानीय
ग्रामीण नेताओं का अच्छा प्रतिसाद मिला.
किन्तु ढाई साल पहले हुए पंचायत समिति चुनाव में सभी पार्टियों ने महायुती कर भाजपा को हराने के लिए एक तरफा चुनाव लड़ा.जिसके कारण भाजपा को मात्र 19 सीटों पर विजय हासिल हो सकी। पंचायत समिति के सिंहासन पर विराजमान होने पर एक तरफा विजय हासिल करने का सपना भी भाजपा का टूट गया।
भिवंडी पंचायत समिति कुल 42 सदस्यों वाली पंचायत समिति हैं, जिसमें भाजपा 19, शिवसेना 19, कांग्रेस 02,मनसे 01व राकांपा के 01 सदस्य हैं। ढ़ाई साल पहले हुए सभापति चुनाव में कांग्रेस के दो सदस्य भाजपा खेमे में चले जाने से भाजपा के पास 21 व महायुती शिवसेना के पास 21 सदस्यों की संख्या हो गयी थी। जिसके कारण चिट्ठी उड़ा कर सभापति का चुनाव हुआ था.जिसमें भाजपा के खेमे ने विजय हासिल किया था। वही पर भाजपा सदस्य रविना रविद्र जाधव को भिवंडी पंचायत का सभापति बनाया गया था।
अब जब पंचायत समिति सभापति पद के लिए सामान्य आरक्षण की घोषणा शासन ने कर कर दिया हैं.जिसके कारण महायुती सेना के कई सदस्यों ने सभापति पद के लिए अपनी इच्छा व्यक्त किया है।
हालांकि विश्वसनीय सूत्रों की माने तो लोकसभा चुनाव में भाजपा के वरिष्ठों के साथ शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं द्वारा की गई राजनीतिक प्रतिबद्धताओं के अनुसार, पंचायत समिति सभापति चुनाव में किए गए वादों के अनुसार भाजपा सदस्यों के साथ गठबंधन करके पंचायत समिति में शक्ति स्थापित करने की राजनीति चल रही है।
गौरतलब है कि ठाणे जिला परिषद में महायुती का एकतरफा गठबंधन के बावजूद, लोकसभा चुनाव में शिवसेना-भाजपा के वरिष्ठ नेताओंके प्रतिबद्धताओं के आधार पर शिवसेना ने भाजपा को महिला व बाल कल्याण समिति सभापति देने से दोनो के बीच प्रतिबद्धता देखने को मिल चुका हैं.
लेकिन पंचायत समिति सभापति के चुनावों में शिवसेना के कई सदस्यों ने सार्वजनिक रूप से भाजपा के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया है।यदि वरिष्ठ लोग भाजपा के साथ गठबंधन करने के लिए सदस्यों पर जोर देते हैं.तो कई शिवसेना सदस्य सीधे इस्तीफा देने के लिए तैयारी कर चुके हैं.जिसके फलस्वरूप शिवसेना के वरिष्ठों के सामने एक नई दुविधा पैदा हो गई है।
वर्तमान में शिवसेना के पास 20 सदस्य हैं.चूंकि एनसीपी का सदस्य भी शिवसेना में शामिल हो चुका हैं.वहीं पर मनसे के एकमात्र सदस्य भी महायुति के कारण शिवसेना के साथ हैं। पता चला है कि ढाई साल पहले भाजपा के साथ गये कांग्रेस के दो सदस्य भी शिवसेना के खेमों में जाने के लिए तैयार हैं।इस प्रकार दावा कांग्रेस पार्टी ने नेताओं ने किया हैं।
स्थानीय कांग्रेस नेताओं के दावा माने तो कांग्रेस पार्टी के दो सदस्य जो पहले भाजपा के खेमे में गये थे.वे इस बार भाजपा के साथ नहीं जाएंगे। क्योंकि अब राज्य में कांग्रेस सेना राकांपा महागठबंधन की सरकार है।
परिणामस्वरूप, पंचायत समिति में शिवसेना की ताकत बढ़ गई है जिसके कारण सदस्यों की कुल संख्या 23 तक पहुंच गई है.जबकि भाजपा के खेमे में सिर्फ 19 सदस्य हैं।
इसके अलावा विश्वसनीय सुत्रों के गलियारे से खबर आ रही हैं कि भाजपा पार्टी में फूट पड़ गयी हैं जिसके कारण कई सदस्य शिवसेना महायुती के साथ जाने के लिए मन बनाकर रखा हैं.अब शिवसेना की ताकत बढ़ गयी हैं.लेकिन सभी का ध्यान अब शिवसेना के वरिष्ठ पदाधिकारियो की भूमिका पर केंद्रित है।
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