छुट्टा पशुओं से किसान परेशान, खेती के लागत को डूबा रहे है सांड व नीलगाय

छुट्टा पशुओं से किसान परेशान, खेती के लागत को डूबा रहे है सांड व नीलगाय

 

 किसानो के माथे पर दिख रही चिंता की लकीर, कैसे होगी दुगुनी आय


(उत्तर प्रदेश जौनपुर 'बरसठी') -  हिन्दू भावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए योगी सरकार ने बूचड़खानों के साथ - साथ गोवंश वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया । जिसका हिन्दू समाज ने उस समय तालियां बजाकर स्वागत किया था।  किंतु समय बीतने के साथ जब पशुपालको ने दूध का प्रयोग कर गोवंशो को छुट्टा छोड़ना शुरू कर दिया तो किसानों पर मानो सामत सी आ गयी । आज नतीजा यह है कि, किसानों द्वारा इस समय बोया गया मक्का,अरहर, उतैला, तिल, चरी, सब्जी यहां तक कि धान की फसल घूम रहे आवारा पशु झुंड बनाकर सफाचट कर जा रहे है। स्थिति यह हो गयी है कि, हर किसान के परिवार का एक सदस्य इन आवारा गो वंशो के पीछे आठ से दस घंटा केवल हट्ट - हट्ट करने में बिता दे रहा है। बरसात के मौसम में टार्च लेकर अपने जान को हाथेली मे लेकर किसान रात भर सिर्फ फसलो की रखवाली कर रहा है। फिर भी सुबह होते होते खेत की आधी फसल समाप्त रहती है।

हां आवारा गो वंश हरियाली खा कर मुस्टंडे हो रहे है। जो आम आदमी के लिए खतरा पैदा कर रहे है। जो लोग कभी तालियां बजा रहे थे ,आज अपना सिर पकड़ कर पानी की घोट पी पी कर योगी सरकार को कोस रहे है।आवारा गो वंशो को लेकर योगी सरकार के प्रति अब धीरे - धीरे जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा है।यदि समय रहते इन आवारा गोवंशो का समुचित निदान नही किया गया तो और कोई मुद्दा योगी सरकार को प्रभावित करे या न करे आवारा पशुओं और नीलगाय से हो रही फसलो का नुकसान अवश्य प्रभावित कर सकता है। क्योंकि यह सीधे सीधे गांव,गरीब और किसानों से जुड़ा मामला है। 

हालांकि, पशुपालक भी इसके लिए कम जिम्मेदार नही है। मलाई पशुपालक खा रहे है और भुगत कोई दूसरा रहा है। सरकार को हर पशुपालको के यहां पैदा होने वाले गोवंशो का विवरण पशु विभाग और कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों से एकत्र कराना चाहिए। समय - समय पर उसकी जांच कराए। यदि कोई पशुपालक अपने गोवंशो को छुट्टा छोड़े तो उस पर सजा और आर्थिक दंड लगाए। यदि गोवंश मर जाय तो उसका सत्यापन नियुक्त कर्मचारी मृत गो वंश, किसान और स्वयं की फोटो के साथ करे।उम्मीद की जा सकती है कि ऐसी कुछ व्यवस्था से आवारा गोवंशो से राहत मिल सकता है। सीमेन कंपनियां भी यह सुनिश्चित करे कि जिस गाय को सीमेन दिया जा रहा है, उससे पैदा होने वाले गो वंशो को एक निश्चित अवधि के बाद वह ले लेगी या किसानों के यहां ही रखकर उसके मूत्र और गोबर की खरीददारी करे।क्योकि गाय के दूध बंद कर देने के बाद गोवंश किसानों,पशुपालको

के लिए घाटे का सौदा हो जाता है। यदि गोवंशो से किसान को थोड़ा भी लाभ मिलने लगेगा तो किसान निश्चित रूप से उनका पालन पोषण करेगा ।

रिपोर्टर

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