
कोरोना योद्धा के नाम पर सम्मान पत्र का गोरख धंधा ?
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Aug 08, 2020
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भिवंडी।। देश भर में कोरोना योद्धाओं को सम्मानित करने की होड़ मची है.कोरोना से जंग लड़ रहे योद्धाओं डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मियों के साथ पत्रकारों को भी सम्मानित किया जा रहा है.शहर में कुछ फर्जी सामाजिक संस्थााऐ व पत्रकार संगठन तथा सामाजिक संगठनों द्वारा कोरोना योद्धाओं के नाम पर पत्रकारों सहित नागरिकों को सम्मान पत्र जारी कर रहे है. सम्मान पाने वाले पत्रकार व नागरिक उसे बड़े गर्व के साथ समाचार पत्रों व सोशल मीडिया पर पोस्ट कर खूब वाहवाही भी लूट रहे हैै.हमारे कई पत्रकार साथी हैं जिन्हें सम्मान पत्र का सर्टिफिकेट मिल गया है.या वह खुद बांट रहे है. कुछ साथियों ने उस सम्मान को यह कहते हुए वापस भी कर दिया है कि उन्होंने ऐसा कोई कार्य नहीं किया है जिसके लिये उन्हें यह सम्मान मिले. जिन्होंने इस सम्मान को वापस किया है उनका कहना है कि कोरोना योद्धा का सम्मान पाने का असल हकदार डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, पुलिसकर्मी एवं सफाई कर्मियों है।
ऐसे सम्मान पत्र देने वाली संस्थाओं के बारे में जब पड़ताल किया तब इस बात का खुलासा हुआ कि अधिकांश फर्ज़ी संगठन पत्रकारों व नागरिकों को यह सम्मान दे रहे हैं।
मुंबई में एक टेंट हाउस का मैनेजमेंट संभालने वाले व्यक्ति ने लगभग 150 से अधिक आंचलिक पत्रकारों व नागरिकों को यह सम्मान पत्र अब तक बांट चुका है.जब उसने कुछ नागरिकों ने पूछा कि आप यह कैसे तय करते है कि कोई पत्रकार कोरोना महामारी में क्या योगदान दिया है। तब उन्होंने कहा कि पत्रकार कोरोना को लेकर सोशल मीडिया या समाचार पत्रों में खबरें बनाते हैं.कोरोना को लेकर उसके द्वारा प्रकाशित खबर को देख कर उसके नाम पर सम्मान पत्र हम जारी कर देते है.जब हमने उस से पूछा कि आप को किसने अधिकृत किया है कि आप यह तय करें कि कौन कोरोना योद्धा है ? और कौन नहीं ? तो इसका उसके पास कोई जवाब नहीं था।
मुंबई के पत्रकार साथियों से इसके बारे में पता करने पर पता चला कि वह इस तरह के कई फर्जी अवार्ड फंक्शन का आयोजन करता आया है.और उस अवार्ड फंक्शन के नाम पर उसकी अच्छी कमाई भी हो जाती है. इसके साथ ही वह पत्रकारों सहित नागरिकों को सम्मान पत्र बांट कर अपने संस्था के नाम का प्रचार प्रसार कर रहा है।
कोरोना योद्धाओं के नाम पर फर्जी सामाजिक संगठन, पत्रकार संगठन एवं कई अन्य संस्थाऐ इन दिनों थोक के भाव में कोरोना योद्धा सम्मान पत्र बांट रहे है।
मुंबई से हमारे पत्रकार साथी का कहना है कि केवल मुंबई सहित उपनगरों में अनेक कई फर्जी पत्रकार संगठन है जो पत्रकारों को सम्मान पत्र या अन्य रूप से मुफ्त मदद देने का लालच देकर पत्रकारों को अपने संगठन से जोड़ लेते है.इस प्रकार के फर्जी संगठनों ने लगभग 150 सम्मान पत्र जारी कर चुके है.सबसे हास्यास्पद है कि सम्मान पत्र पाने वाले आंचलिक पत्रकार उस सम्मान पत्र को समाचार पत्रों में प्रकाशित करवा रहे है या फेसबुक तथा सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहे है तथा यह दिखाने का भी प्रयास कर रहे हैं कि कोरोना महामारी को लेकर उन्हें यह सम्मान मिला है जो उनके लिये गौरवान्वित करने वाली बात है।
कोरोना महामारी को लेकर देश भर में मीडियाकर्मी अग्रिम पंक्ति में है.कोरोना योद्धा के रूप में इस बात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है. देश के विभिन्न राज्यों में दर्जनों पत्रकार जो कोरोना पीड़ितों की खबर को कवर कर रहे थे वे पॉजिटिव पाये गये है। परन्तु वे भी इस तरह के सैंकड़ो फर्जी संगठनों द्वारा बांटे जा रहे सम्मान पत्र पाने के लिये लालायित नहीं नज़र आये।
कोरोना महामारी को कवर करने वाले पत्रकारों को उनके कार्यों के लिये जिला स्तर पर जिलाधिकारी एवं प्रशासनिक अधिकारी अगर सम्मानित करते, राज्य सरकार के मंत्री एवं पदाधिकारी राज्य स्तर पर चिन्हित कर एक मानक तय कर ऐसा करते तो भी बात समझ में आती।
पत्रकारों को सम्मान पत्र वे जारी कर रहे है जिनके संस्थाओं के बारे में पत्रकार तपतीश करेंगे तो यह पायेंगे कि अधिकांश उनमें ऐसे हैं जो अपनी संस्था की आड़ में कई गलत कार्यों में संलिप्त है.जिन पत्रकारों को ऐसे फर्जी संस्थाओं की जांच कर खबरें बनानी चाहिये थी. वे उनसे सम्मान पत्र पाकर फूले नहीं समा रहे है.पत्रकारों को भी इन दिनों अब छपास रोग लग गया है. खबरें बनाने वाले अब खुद खबरों की सुर्खियां बनना चाहते है. ऐसे सम्मान पत्र पाने वाले पत्रकारों या बांटने वाले सम्मान को देख कर आप यह आसानी से तय कर सकते है कि उनकी पत्रकारिता का उद्देश्य और लक्ष्य क्या है भिवंडी शहर भी अब इस छपास रोग से अछूता नहीं है।
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