भिवंडी के पहारे गांव में 25 वर्षों से सरपंच पद रिक्त
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Aug 15, 2020
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◼ शासन ने सरपंच पद आदिवासी के लिए किया है आरक्षित। किन्तु गांव में एक भी आदिवासी परिवार नहीं
◼ ग्रामीण मूलभूत सुविधाऔ से वंचित
◼ जिला परिषद के स्कूल जर्जर, विद्यार्थियों के जीवन के साथ खिलवाड़
भिवंडी।। भिवंडी तालुका के पहारे गांव में 25 वर्षों से सरपंच पद खाली पड़ा है। जिसके कारण गांव का विकास कार्य भी ठप्प पड़ने के साथ नागरिक मूलभूत सुविधाऔ से वंचित है. ग्रामीणों ने सरपंच पद पर किये गये आरक्षण को हाटने की मांग कर रहे है।
गौरतलब हो कि भिवंडी तालुका के पहारे गांव सरपंच पद को शासन व चुनाव यत्रंणा ने मिलकर 1995 में आदिवासियों के लिए आरक्षित किया था.किन्तु गांव में एक भी आदिवासी परिवार नहीं के कारण सरपंच पद की कुर्सी 25 वर्षों से खाली पड़ी है.पहारे गांव पंचायत के कार्यभार ग्राम सेवक अधिकारी संभालते हुए आ रहे है।किन्तु ग्राम सेवक की दूसरे गांव में अतिरिक्त जिम्मेदारी होने के कारण वह 15 दिनों या महीने में सिर्फ एक बार ही गांव पंचायत में आ पाता है।
गांव में सरपंच पद 25 वर्षों से खाली होने के कारण सड़कों पर चलना कांटे पर चलना के बराबर है। गांव में 25 वर्ष पूर्व बनी पानी की टंकी खराब होने के कारण नागरिकों को पानी खरीदकर या वोरबेल का पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। 10 वर्षों से जिला परिषद स्कूल की मरम्मत नहीं होने के कारण विद्यार्थी जीवन खतरे में डालकर पढ़ाई कर रहे है.जिसके कारण गांव के लोगो ने आरक्षित किया सरपंच पद को हटाने की मांग शासन से किया है।
गांव के पुलिस पाटिल भारत भोईर ने बताया कि गांव में सरपंच पद रिक्त है गांव पंचायत का पुरा कामकाज ग्राम सेवक देखते आ रहे है लेकिन उनके पास दो गांवो की जिम्मेदारी शासन ने सौंप है। जिसके कारण वह गांव पंचायत कार्यकाल में 15 दिन या महीने में एक बार ही आते है इस लिए गांव का विकास पूरी तरह से ठप्प पड़ा हुआ है।
पहारे गांव के पूर्व सरपंच पुंडलिक पाटिल ने बताया कि गांव में पानी टंकी का काम 25 वर्ष पहले किया गया था.किन्तु टंकी में आज तक पानी कनेक्शन नही जुड़ने के कारण लोगो को पानी खरीद कर पीना पड़ता है यहाँ तक कुछ लोग कुएं तथा बोरिंग का पानी पीते है.सरकार ने गांव में आदिवासी नहीं होने के बावजूद भी सरपंच पद पर आरक्षण लागू कर गांव के लोगो के साथ अन्याय किया है.सरकार इसे संज्ञान में लेकर ग्रामीणों के साथ न्याय करें।
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