
नामदार को काम नहीं, कामदार को नाम, फर्जी सम्मान पत्रों से लूटी जा रही खूब वाहवाही
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Aug 19, 2020
- 771 views
भिवंडी।। कितनी अजीब बात है "काम न करने वाले का नाम और काम करने वाले का नाम न होना" इन दिनों सोशल मीडिया पर ऐसे नकली कोरोना योद्धा खूब देखने को मिल रहे है.दरअसल असली कोरोना योद्धा तो दिनरात मोर्चे पर डटे हुए है और उन्हें किसी सम्मान की आवश्यकता भी नहीं है।
देश क्या पूरा विश्व महामारी की चपेट में है.देश के प्रत्येक राज्य में कोरोना वायरस ने अपनी जड़े जमा चुका है.ऐसी विषम परिस्थितियों में लोगों की जान बचाने के लिए पुलिस फोर्स, डॉक्टर, सफाई कर्मी दिनरात मेहनत कर है और इन्हें किसी सम्मान का लालच भी नहीं है.
मेरा मकसद किसी के सम्मान को आहत करना नहीं है. बल्कि हकीकत से शहर की जनता को रूबरू कराना है.जिन लोग ने अभी तक इस कोरोना महामारी काल में जनता हित के लिए कोई काम न किया हो उन्हें तथाकथित कुछ संस्थाएं व संगठना तथा पत्रकार चने की भांति कोरोना सम्मान पत्र वितरित कर रहे है।
सम्मान पत्र पाने वाले व कथित कोरोना योद्धा सोशल मीडिया के माध्यम, वाट्शाप तथा फेसबुक पर सर्टिफिकेट पोस्ट कर खूब वाहवाही लूट रहे है. नकली कोरोना योद्धा सर्टिफिकेटों को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर वह खुद हंसी का पात्र बनते है.उधर लाॅक डाउन के चलते इंसानों से लेकर बेजुबानों तक मदद करने वाले पुलिस प्रशासन कर्मी अभी भी मदद के मोर्चे पर तैनात है.
असल बात तो यह है कि जिन कोरोना योद्धाओं को चने के भांति सम्मान पत्र वितरित किए गए है. वैश्विक महामारी कोरोना के संकटकाल में ऐसा कौन सा काम कर दिया कि जो वह सम्मान के लायक है तथा उन्हें सम्मान पत्र देने वाले का क्या हैसियत, जो इस महामारी में शासन का मजाक उड़ाते हुए चने की भाॅति कोरोना सम्मान पत्र बांट रहा है.ताज्जुब की बात है कुछ अनपढ़ो द्वारा भी कोरोना सम्मान पत्र बांटा जा रहा जिन्हें हिन्दी व अंग्रेजी अथवा मराठी भाषा में कोरोना शब्द लिखने का ज्ञान नहीं,वह पर भी चने की भांति कोरोना योद्धाओं का चयन कर उन्हें सर्टिफिकेट दे रहा है. लोग बड़े चाव से सर्टिफिकेट लेते हुए आड़ा तिरछा खड़ा होकर फोटो खींचवाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करके खुब वायरल कर रहे है। केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार इस वैश्विक महामारी में नागरिकों को बचाने के लिए पूरा राजस्व खाली कर दिया लगभग 150 दिनों से सभी उद्योग धंधे बंद है, पुलिस प्रशासन सड़कों पर राउंडप कर रही है.इस महामारी से लाखों लोगों की मृत्यु हो चुकी है.हजारों पुलिस कर्मी, शासन व प्रशासन के स्वास्थ तथा सफाई कर्मी शहीद हो चुके है उनके परिवार के मुंह से निवाला छिन गया है.ऐसे संकटकाल में भी कुछ फर्जी संगठना तथा कथित पत्रकार "तु मुझे कोरोना योद्धा बना दे. मै तुझे कोरोना योद्धा बना दू " इस प्रकार का गंदा व स्वयं प्रसिद्धि के लिए ढोंग रचकर खेल खेलते नजर आ रहे है।
लोगों का कहना है कि ऐसी कथित समाजसेवी संस्थाएं, संगठना तथा पत्रकार जो चने की भांति कोरोना सम्मान पत्रों की बंदर बांट कर रहे है. वह संस्थाओं के नाम पर गोरखंधंधों की कवायद भी शुरू करना चाहते है.ऐसी संस्थाओं का अस्तित्व व कानूनी मान्यता के साथ वह किस आधार पर और किसके किस काम पर, सम्मान पत्र बांट रहे है इन सभी बिंदुओं की जांच होनी चाहिए।
आईटी सेक्टर के जानकारों का यह भी दावा है कि एंड्रॉयड मोबाइल पर कुछ ऍप्लिकेशन ऐसी भी हैं. जिन पर फर्जी सर्टिफिकेट भी बना सकते है.अब सवाल यह है कि अगर ऐसी एप्लिकेशन से सर्टिफिकेट बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जा रहे हैं तो आप इन लोगों की मानसिकता को परख सकते है या कह सकते है कि यही है "नामदार जिनका कोई काम नहीं ये है कामदार कोरोना योद्धा".घर परिवार को छोड़कर लोगों की जान बचाने में जुटे स्वास्थ्य कर्मी,सीमा पर देश की सुरक्षा में डटे सैनिक, नागरिक सेवा,सुरक्षा में दिन रात लगे पुलिस के जवान,गरीब असाहयों को दो वक्त का भोजन उपलब्ध कराने वाली समाजिक संस्थाएं इसके अलावा जिन्होंने जरूरतमंद को मदद करने की ठानी है यह असल में सम्मान के हकदार है.लेकिन दरियादिली यह है कि इन कामदारों को सम्मान पत्र की जरूरत नहीं बल्कि लाखों लोगों की दुआएं ही इनका सम्मान है.ऐसे कर्मवीर योद्धाओं को ही शासन प्रशासन द्वारा सम्मान मिलना चाहिए।
रिपोर्टर