कोरोना में मधूमेह रोगियों की देखभाल - डाॅक्टर प्रीति नन्दा सिब्बल

कोरोना संक्रमण के मामले में मधूमेह रोगियों को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। सामान्य मरीजों के मुकाबले मधूमेह रोगियों को निमोनिया, फेफड़ों में सूजन तथा अन्य संक्रमण रोग घातक सिद्ध हो सकते हैं क्योंकि मधूमेह रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता सामान्य रोगियों के मुकाबले काफी कमज़ोर होती है जिससे उनकी आंतों में सूजन  तथा जलन बढ़ सकती है तथा कोरोना संक्रमण से गम्भीर परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं।

सामान्यतः यह माना जाता है कि कोरोना जैसी महामारी की चपेट में आने के बाद रोगियों में मानसिक उत्तेजना तथा तनाव घर कर जाता है । इन परिस्थितियों में अगर कोई रोगी मधूमेह से पीड़ित नहीं भी है तो भी उसका शूगर का स्तर बढ़ जाता है तथा उसकी रिकवरी दर में गिरावट आ जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार वरिष्ठ नागरिक तथा मधूमेह, हृदय, कैंसर तथा श्वास रोगियों को कोरोना संक्रमण में गम्भीर परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं तथा रोगियों की मृत्यु दर सामान्य रोगियों से कहीं ज्यादा है क्योंकि ऐसे रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता काफी कमज़ोर होती है जिससे उन्हें विभिन्न प्रकार के संक्रमित रोग घेर लेते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि मधूमेह रोगियों का रक्तवहन तंत्र क्षतिग्रस्त  एवं कमजोर  होता है जिसकी वजह से इस भाग में रक्त चिकित्सा प्रभाव धीमा पड़ जाता है जिसकी वजह से रोगी की रिकवरी में लम्बा समय लग जाता है कोरोना महामारी के इस दौर में यदि आप इंसुलिन ले रहे हैं तो कम से कम एक हफ्ते की खुराक अपने पास जरूर रखें। यदि आप अपने आपको क्वारंटाईन कर रहे हैं तो भी पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन तथा स्वास्थ्यवर्धक पौषाहार जरूर सुनिश्चित कर लें। अपने डाॅक्टर से नियमित रूप में फोन या व्हाटस अप के माध्यम से संपर्क में रहें तथा गूगल मीट आदि वर्चुअल कान्फ्रेंस, वर्चुअल विजिट के माध्यम से अपने डाॅक्टर से नियमित रूप से सम्पर्क में रहें। यदि आप शूगर की बीमारी से गम्भीर रूप से पीड़ित हैं तो आप अपने नजदीकी दोस्त, रिश्तेदार या विश्वास पात्र पड़ोसी का मोबाईल नम्बर स्पीड डायल डाल पर सेव कर  लें तांकि किसी भी आपातकाल स्थिति में आप उन्हें तुरंत सम्पर्क कर सकें।

यदि आपको लम्बे समय से अनियन्त्रित मधूमेह की शिकायत है तो इससे आपके शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में सूजन या जलन हो सकती है जिसकी वजह से आपकी प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो सकती है। यह भी देखने में आया है कि मधूमेह से पीड़ित वरिष्ठ नागरिक कोरोना संक्रमण में ज्यादा प्रभावित होते हैं।

आप मधूमेह से पीड़ित हैं तथा कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए हैं तो यह बेहतर होगा कि आप अपने घर में परिजनों से बराबर दूरी बना कर अपने घर में ही क्वारंटाईन रहें तो आप मानसिक, शारिरिक तौर पर ज्यादा बेहतर महसूस करेंगे। लेकिन आपको ब्लड शूगर को नियमित रूप से जांचते रहना होगा। लेकिन  यदि  इस दौरान अगर आपकी ब्लड शूगर लगातार अनियन्त्रित रह रही है तथा  आपका जी मचलाता है, उल्टी आती है या सांस लेने में तकलीफ अनुभव हो रही हो तो इसका मतलब है कि आपका संक्रमण बदतर होता जा रहा है तथा इन परिस्थितियों में आपको तुरंत मैडिकल सहायता ग्रहण करनी चाहिए। कोरोना संक्रमण की वजह से डायबटीज़ को संतुलित रखना काफी मुश्किल है। कोरोना संक्रमण से पीड़ित मधूमेह रोगियों को अस्पताल में इन्सूलिन की जरूरत ज्यादा होती है तथा अनेक जटिल समस्याएं सामने आती हैं।

कोरोना संक्रमण के समय मधूमेह को नियन्त्रित रखना, ब्लड शुगर में बदलाव को रोकना, उचित तथा पर्याप्त आहार, नियमित शारीरिक व्यायाम, ध्यान तथा जीवन शैली से जुड़े अन्य रोगी जैसे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप आदि पर पर्याप्त ध्यान देने की जरूरत रहती है। मधूमेह से पीड़ित कोरोना रोगियों को अपने डाॅक्टर से फोन, विडियो, व्हाटसअप, ई-मेल आदि के माध्यम से सक्रिय रूप से सम्पर्क में रहना चाहिए। कोरोना संक्रमण में मधूमेह रोगियों का गलुकोस स्तर बढ़ता है जिससे शरीर में तरल पदार्थ की आवश्यकता महसूस होती है तथा ऐसे में आपको साफ ताजे पानी की उपलब्धता जरूर सुनिश्चित करनी चाहिए तथा पानी नियमित रूप से पीना चाहिए। इस दौरान आप अत्यधिक शारीरिक परिश्रम से बचें तथा 8-10 घण्टे की नियमित नींद जरूर सुनिश्चित करें। यदि आपके सीने में लगातार दर्द है, आप घबराहट या व्याकुलता महसूस कर रहे हैं, चेहरे या होठों पर नीलापन आ रहा है तो आप तत्काल डाॅक्टर से सम्पर्क करें। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस से शरीर में ब्लड शूगर की मात्रा बढ़ जाती है जिससे रोगियों को मधूमेह की बीमारी हो सकती है।

भारत में इस समय मधूमेह रोगियों की संख्या लगभग 77 मिलियन है भारत में हर छठा व्यक्ति मधूमेह से पीड़ित है तथा इसके अतिरिक्त करोंड़ांे लोग प्री-डायबिटिक्स हैं।

कोरोना वायरस शरीर में शूगर को नियन्त्रित करने वाले अग्नाश्य कोशिकाओं को आघात पहुंचा सकता है जिससे शरीर में इन्सुलिन की कमी हो सकती है जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति में प्यास तथा थकान अप्रत्याशित रूप में बढ़ जाती है। इससे रोगी की आंखों के सामने अंधेरा छा जाना, धूंधला दिखाई देना/व्याकुलता महसूस करने सहित रोगी बेहोश भी हो सकता है। इस प्रक्रिया में प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर पड़ जाती है तथा ब्लड शूगर बढ़ने की वजह से संक्रमण तेजी से फैलने का खतरा बढ़ जाता है डायबटिज़ की वजह से रोगी को हृदय रोग की सम्भावनाऐं बढ़ जाती हैं। नवीनतम शोध में पाया गया है कि कोरोना संक्रमण से मधूमेहह रोगियों को हृदय रोगों से आघात हो सकता है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सुझाए गए लाकडाउन तथा सामाजिक दूरी आदि उपायों से मधूमेह रोगियों के मानसिक स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ा है। इसकी वजह से मधूमेह रोगियों में तनाव उत्सुकता/व्याग्रता/चिंता आदि बढ़ने से नींद में खलल पड़ सकता है जिससे ब्लड शूगर अनियन्त्रित हो सकती है। इस महामारी में दवाईयां, पौषाहार एवं टीकाकरण ही सबसे बेहतर विकल्प है। गलत खानपान/पौषाहार की कमी/ नींद की कमी/ तनाव आदि से शरीर की प्रतिरोधात्मक क्षमता कमज़ोर पड़ जाती है जोकि घातक सिद्ध हो सकते हैं।

अपनी खुराक में ताजे फल, सब्जियां, अंकुरित अनाज आदि को जरूर शामिल करें जोकि शरीर को एंटी आक्सीडैंट प्रदान करते हैं जिससे शरीर संक्रमण से लड़कर स्वास्थ्यवर्धक हो सकता है। अपना भोजन निश्चित समय पर नियमित रूप से लेते रहिए। पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं तथा घर में पके भोजन को पहली प्राथमिकता दें। अपनी दिनचर्या में साफ्टड्रिंक, सोडा, फ्रूट जूस, सिरप, सुगंधित दूध, दही आदि से परहेज़ रखें। नियमित रूप से व्यायाम, उचित शारीरिक गतिविधी, पर्याप्त नींद आपके ब्लड शूगर को नियन्त्रित रखने में अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। अपने डाॅक्टर/आहार विशेषज्ञ से नियमित सम्पर्क में रहें।

---------डॉ एम डी सिंह की कलम से

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