दुर्दशाग्रस्त है जौनपुर जिले का पट्टीनरेंद्रपुर बाजार । सड़क,नाली अस्पताल,,, सभी हैं खस्ताहाल।

सांसद/ विधायक/ जौनपुर प्रशासन देखिए तस्वीरें और नागरिकों से है लगाव तो करें दौरा और दें सुविधाएं

सांसद के पी सिंह ने दिया था आश्वासन , लेकिन अमल नही??

हर तरह की सरकारी सुविधाओं से वंचित है पट्टीनरेन्द्रपुर

नालियों पर हुआ है अतिक्रमण, या तो पाट दी गयी है या फिर उस पर खड़ी हैं दीवारें

पट्टीनरेंद्रपुर ,जौनपुर ।जौनपुर जिले के सरपतहां थाना क्षेत्र के पट्टीनरेंद्रपुर बाजार में थोड़ी सी बारिश होने के बाद सड़कें जलमग्न हो जाती हैं जिससे आवागमन में लोगों को बहुत ही असुविधा होती है । विशेष बात तो यह है की योगी सरकार के 1 साल के गड्ढा मुक्त अभियान के पूरे होने के बाद भी पट्टीनरेंद्रपुर की सड़कें गड्ढा युक्त ही हैं ।जो कुछ गड्ढा मुक्त के नाम पर निर्माण किया गया वह कार्य इतना सराहनीय नहीं रहा कि सडकों को गड्ढा मुक्त कहा जा सके ।


थोड़ी सी बारिश ने पुनः पट्टीनरेंद्रपुर को गड्ढा युक्त बना दिया । इस तरह से गैर जिम्मेदाराना काम करने वालों के प्रति क्या सरकार की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है ? क्या लोग इसी तरह से पानी में चलते हुए अपने बाजार में पहुंचेंगे ? इस तरह सड़कों के जलमग्न रहने से क्या मच्छरों की संख्या नहीं बढ़ेगी ? क्या मलेरिया का प्रकोप नहीं फैलेगा ? फिर सरकार क्यों लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रही है? क्या जनता वोट देकर इसीलिए सरकार बनाती है कि उसे इस तरह का दुख दर्द झेलना पड़े?


फिर क्या जरूरत है सरकार बनाने की जब उसे अपना दुर्भाग्य ही झेलना है ? यह सब पट्टिनरेंद्रपुर के दुखदर्द को बयां करते अनुत्तरित प्रश्न हैं ।यह कोई नई बात नहीं है या यह सिर्फ पट्टीनरेंद्रपुर की ही बात नहीं है जौनपुर जिले के सुइथाकला ब्लाक लगभग जितनी भी ग्रामीण सड़कें हैं कमोबेश सभी सड़कों का यही हाल है । पट्टीनरेंद्रपुर कई गांव के बीच की एक बड़ी बाजार है जहां हजारों लोगों का हमेशा आना-जाना बना रहता है किंतु प्रशासन की लापरवाही के सामने सभी लाचार हैं । सभी दुकानदार यह चाहते हैं कि इन सड़कों का अच्छा निर्माण हो लेकिन दुखद विषय भी यही है की सड़कों के किनारे की बनी हुई नालियां भी उन्हीं लोगों के द्वारा पाट ली गई हैं जिससे जल निकासी की समस्या खड़ी हो जाती है। जब जलभराव होने लगता है तो सड़कों का टूटना स्वाभाविक ही है। क्या लोकल स्तर पर ऐसी कोई प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए जो कि इन चीजों की रिपोर्टिंग करें और देखभाल की जिम्मेदारी ले ? यदि ऐसा नहीं होता है तो लोग इसी तरह से इन समस्याओं से दो-चार होते रहेंगे और सिर्फ सरकार ही बदलते रहेंगे । अगर लोगों के अतिक्रमण के कारण से नालियां पाटी गई या उन पर कब्जा बना लिया गया तो क्या प्रशासन की यह जिम्मेदारी नहीं बनती है कि यह अतिक्रमण हटवाकर जल निकास की उचित व्यवस्था करवाए ? यही नहीं पट्टीनरेंद्रपुर काफी बड़ी मार्केट है किंतु यहां सरकारी स्तर पर शौचालय या पेशाब घर की भी कोई व्यवस्था नहीं है ? जो व्यवस्था बनाई भी गई है वहाँ इतनी गन्दगी है कि कोई वहाँ जाना भी नहीं चाहता। सरकार को यहाँ स्वच्छ शौचालय की व्यवस्था करनी चाहिये। पूरे बाजार का कूड़ा भी बाजार के बीच में रमेश मौर्य की दुकान के बगल में ही फेक दिया जाता है । 


पट्टीनरेंद्रपुर के अस्पतालों की भी हालत वही है कि वहां कोई भी मरीज जाना पसंद नहीं करता क्योंकि वहां पर कोई किसी प्रकार की व्यवस्था ही नहीं है ।एक होमियोपैथिक डॉक्टर के सहारे अभी तक चल रहा है पट्टीनरेंद्रपुर का अस्पताल । किसी भी प्रकार की इमरजेंसी सेवा अभी तक उस अस्पताल में नहीं हो पाई है । क्या यह विकास है या जनता की जिंदगी के साथ खिलवाड़ ? आखिर इस तरह की दुर्व्यवस्था का प्रमुख जिम्मेदार कौन है ? खैर जो भी इसके लिये जिम्मेदार हो , सरकार को उसके खिलाफ उचित कार्यवाही कर लोगों के अमूल्य जीवन को सुखमय बनाने का प्रयास जरूर करना चाहिये ।

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