
कजरी पर्व पर चर्चा
- राजेश कुमार शर्मा, उत्तर प्रदेश विशेष संवाददाता
- Aug 29, 2018
- 583 views
कजरी की बातें जब हमारे सामने आतीं है तो गांव की सोनी मिटटी ,नीम का पेड़ ,पशुओं की चन्नी ,गांव के बाहर बना चबूतरा ,पास -पड़ोसियों का इकठा होना ,बरसात के दिनों में खेल -कबड्डी ,लौटी ,गुल्ली -डंडा ,गायन श्रवण मास के झूले आदि हमारे मन को उत्साहों से भर देती है। इस पर्व पर समाजवादी पार्टी के पिछड़ा प्रकोष्ठ उत्तर प्रदेश के सदस्य राजेश शर्मा (सविता ) ने पुरन्दरपुर और गोराइ गांव के कुछ बुजुर्ग के साथ बैठक किया तथा चर्चा किया कि जरई का बोना ,रतजगा ,दाना और जलेबी रस्ते पर बिखेरना आदि के पीछे क्या कारण है।
संत निरंकारी सत्संग के गुरु भाई श्री पंचम लाल जी ने कहा कि रतजगा की रात्रि में शभी बहने- बेटियां भोर में दाना और जलेबी या गुण लेकर जाती है तो गीत गाते हुए देवी -देवताओं को चढातें है।एक -दूसरे से आदान -प्रदान करती है। बरसात के दिनों में सभी पशु -पक्षी जानवर आदि को भोजन नहीं मिल पता है जिसके लिए रास्तों पर दाना छीटने का कार्य करते है। चाचा शिवधन राजभर ने कहा की बहन का एक भाई बिछड़ गया था ,जिसके लिए मिटटी का पिंड बनाकर जौ का बिज उसमे लगाये और जब वह बड़ा हो जाय तो उसे गंगा जी में बोरे और स्नान करे , उसके जरई को अन्य भाईयो के कान पर पहनावे तो उसका भाई वापस आजायेगा ,और ऐसा ही हुआ। शिव शंकर यादव ने कहा कि जरई से हमारी फसलों के उत्पादन के बारे पता लगाया जाता है। राजेश शर्मा ने कहा कि हमारे गांव में जो पर्व मनाया जाता है उसका पतन हो रहा है। हम सभी लोग गांव के अस्तित्व को बचाये हम सभी पिछड़े भाइयों का नेतृत्व करने वाली समझदार नवयुवक चुने अस्तित्व भी बरक़रार रहे। इससे उत्साहित होकर शिवधन ने गीत गाया और गोष्ठी का समापन किया। मौके पर लल्लन राजभर ,शिव शंकर यादव ,राम जीत राय ,शशि भारती ,धर्मेंदर यादव ,लुल्लुर राजभर आदि उपस्थित थे।
रिपोर्टर